गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल
श्रीनगर गढ़वाल – एनआईटी के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने परिसर विस्तार के बारे में कहा कि ” उच्च शिक्षण संस्थानों में कक्षा और आंतरिक डिजाइन का छात्र के सीखने पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इस बात के पुख्ता प्रमाण है कि उच्च-गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा छात्रों के प्रदर्शन में सुधार के साथ ड्रॉपआउट दर को भी कम करता है। इसीलिए रेशम फार्म में शैक्षणिक ब्लॉक, कक्षाएं और प्रयोगशालाएं, मनोरंजन ब्लॉक, प्रशासनिक भवन मुख्य द्वार और इलेक्ट्रिक रूम के निर्माण का प्रावधान किया है ताकि छात्रों को बेहतर सुविधा प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह निर्माण पूर्ण रूप से उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (हेफा) द्वारा प्रदान की गयी वित्तीय सहायता के तहत किया जा रहा है और तीन साल के रख रखाव की जिम्मेदारी के साथ इस पूरे निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार द्वारा बत्तीस करोड़ चौरानवे लाख उनतीस हजार नौ सौ उनतालीस रुपये की निविदा राशि कोट की गई है।
प्रोफेसर अवस्थी ने एचईएफए फंडिंग के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि एचईएफए एमएचआरडी, भारत सरकार और केनरा बैंक का एक संयुक्त उद्यम है, इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016-17 में की थी। इस फंडिंग का उद्देश्य भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को आत्मनिर्भर बनाने और पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय पोषण प्रदान करना है ताकि उन्हें अनुसंधान एवं विकास सहित विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्त पोषण करके वैश्विक रैंकिंग में उत्कृष्टता प्राप्त करने और शीर्ष पर पहुंचने में सक्षम बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि हेफा फंडिंग के तहत एन आई टी, उत्तरखंड को वर्ष 2018 में श्रीनगर परिसर और सुमाड़ी परिसर में आधारभूत बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए लगभग 650 करोड़ सत्तानवे लाख रूपये अनुमोदित किये गए थे परन्तु कतिपय कारणों से इस राशि से अभी तक एक भी रूपये का उपयोग नहीं हो पाया था जबकि हेफा के साथ समझौते की शर्तो के अनुरूप संस्थान को अनुमोदित राशि में से एक निर्धारित राशि को निर्माण कार्यो के लिए उपयोग करना आवश्यक था अन्यथा समझौते की वैधता वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत में समाप्त हो जाती। इसीलिए संस्थान के योजना एवं विकास अनुभाग के अधिकारियो ने अथक प्रयास किया और कार्यदायी संस्था के अधिकारियो के साथ मिलकर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व निविदा प्रक्रिया को अंतिम रूप देते हुए परिसर विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया साथ ही हेफा समझौते को भी रद्द होने से बचाया।
प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी ने जानकरी दी कि निर्माण कार्य हेतु हेफा ने पहले चरण के अंतर्गत लगभग दस करोड़ उन्तालीस लाख रूपये की राशि अवमुक्त कर दिया है। डॉ गुरिंदर सिंह बरार, अधिष्ठाता योजना एवं विकास अनुभाग, ने बताया कि रेशम फार्म में निर्मित होने वाली कक्षाएं और प्रयोगशालाएं तीन मंजिला और अन्य इमारतें दो मंजिला होंगी।