उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं त्रिपुरा सरकार के मध्य हुए एमओयू के अंतर्गत 10 दिवसीय मर्म चिकित्सा प्रकृति परीक्षण एवं नाड़ी परीक्षण प्रशिक्षण प्रोग्राम का समापन समारोह आयोजित किया गया

देहरादून- उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिषद में उत्तराखंड आयुर्वेद आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं त्रिपुरा सरकार के मध्य हुए एमओयू के अंतर्गत 10 दिवसीय मर्म चिकित्सा प्रकृति परीक्षण एवं नाड़ी परीक्षण प्रशिक्षण प्रोग्राम का समापन समारोह आयोजित किया गया।

 

यह प्रोग्राम उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय मुख्य परिसर द्वारा ऑर्गेनाइज किया गया जिसको त्रिपुरा सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय में त्रिपुरा सरकार के स्वास्थ्य विभाग के 6 चिकित्सा अधिकारियों को मर्म चिकित्सा एवं नाड़ी तथा प्रकृति परीक्षण की ट्रेनिंग विभिन्न विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट फैकल्टी के द्वारा दिलवाई गई। इसमें 80 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 घंटे व्याख्यान में एवं 40 घंटे उक्त विषय के चिकित्सा प्रयोगात्मक कार्य में निपुण किया गया। आज के कार्यक्रम में प्रातः सभागार में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी, परिसर निदेशक प्रोफ़ेसर पंकज शर्मा , प्रोफेसर अनूप गक्खड़,कुलसचिव द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर धन्वंतरी वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

इस समापन कार्यक्रम के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर सुनील जोशी ने कहा कि चिकित्सा के लिए निदान एवं टेस्टिंग में बहुत ज्यादा आर्थिक व्यय लगता है जबकि प्रकृति परीक्षण एवं नाड़ी परीक्षण तथा के प्रयोग से बिना किसी के हम रोग एवं रोगी के बारे में सब कुछ जान एवं समझ सकते हैं जिसके आधार पर आयुर्वेदिक सिद्धांतों द्वारा चिकित्सा की जा सकती है। साथ ही कहा कि मर्म दुनिया का सबसे प्राचीनतम विज्ञान है इसके द्वारा दारुण एवं क्रॉनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, इमरजेंसी चिकित्सा में भी लाभदायक है। अपने पिछले 40 वर्षों के चिकित्सक की जीवन में इसके विभिन्न चमत्कारिक चिकित्सकीय अनुभव को उन्होंने प्रतिभागियों के मध्य शेयर किया। उन्होंने कहा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद भारत सरकार के साथ विभिन्न प्रोजेक्ट के माध्यम से मर्म चिकित्सा के चिकित्सकीय आयामों को शोध करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। इन प्रोजेक्ट के बहुत ही सकारात्मक परिणाम अब तक प्राप्त हुए हैं। तथा सारी दुनिया में उत्तराखंड को आयुर्वेद की जननी के रूप में जाना जाने लगा है।इस इस दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले चिकित्सा अधिकारियों ने अपने सकारात्मक प्रशिक्षण अनुभव को भी सबके समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नंदकिशोर दाधीचि द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो0 प्रेमचंद शास्त्री, डॉ संजय गुप्ता उप कुलसचिव, प्रोफेसर जी पी गर्ग, डॉ राजीव कुरेले, प्रो०डीके गोयल, प्रो०विपिनचंद्र पांडे, डा० विपिन अरोरा, डॉ० इला तन्ना, डॉ० रूपश्री, डा० बिपिनचंद्र आदि शिक्षक गण, हरीशचंद्र गुप्ता डॉ नेहा जोशी,. डा०गरिमा, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ आरती सेमवाल गुरुकुल के पीजी शोधार्थी, इंटर्न छात्र-छात्राएं आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे