पेड़ों को काटने पर उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा सजा का प्रावधान खत्म किए जाने के फैसले का धीरेंद्र प्रताप ने किया विरोध,

गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल

श्रीनगर गढ़वाल :- उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने आज राज्य कैबिनेट द्वारा पेड़ों को काटे जाने के दोषियों को सजा का प्रावधान समाप्त किए जाने के फैसले का विरोध करते हुए सरकार के इस फैसले को और अदूरदर्शिता पूर्ण और मूर्खतापूर्ण ठहराया है।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि उत्तराखंड करीब 66 फ़ीसदी वनों से घिरा हुआ है ऐसे में वन हमारी अर्थव्यवस्था के वर्षों से मूल स्त्रोत बने हुए हैं परंतु जिस तरह से आज सरकार ने राज्य के दीर्घकालिक हितों की उपेक्षा कर वृक्षों को काटने वालों को जुर्माने की दुगनी राशि देकर प्रोत्साहित करने का फैसला किया है, इसके दूरगामी परिणाम राज्य में होंगे और इससे राज्य में वृक्षों की तस्करी और बेरहमी से कटान को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा इसके पीछे वन अधिकारियों की लॉबी का भी हाथ दिखाई देता है उन्होंने पिछले वर्षों में अनेकों जगह गैर जिम्मेदारी से आर्थिक हितों के लिए पेड़ों का भारी अवैध कटान किया और जब सजा के मुहाने पर वे खड़े हैं तो कैबिनेट से अपने पक्ष में फैसला कराने की साजिश में सफल हो गए हैं।
उन्होंने कहा उत्तराखंड की जल जंगल जमीन ही सबसे बड़ी धरोहर है और जिस तरह से जंगलों के कटान पर आज सरकार ने बहुत ही सरेंद्र पूर्वक मुहर लगा दी है उससे जाहिर हो गया है कि राज्य का भविष्य खतरे में पड़ गया है और पर्यावरण में भी जो उत्तराखंड का योगदान है उस पर भी खतरा बढ़ गया है।
उन्होंने आज के दिन को काला दिन बताया है और सरकार के इस फैसले के विरोध में 20 मार्च को राज्य आंदोलनकारियों द्वारा धामी सरकार के राज्य भर में पुतले फूंकने का ऐलान किया है।