उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन संपन्न

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन संपन्न

हर्रावाला, देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर ,हर्रावाला में प्रथम दीक्षांत समारोह 16 दिसंबर २२ के दूसरे सत्र में रंगारंग संस्कृतिक कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन का आयोजन धूमधाम के साथ किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० सुनील कुमार जोशी जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शुभारंभ कार्यक्रम में हिमालय कॉलेज के द्वारा नंदा देवी राजजात, योगनृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए । माँ नंदा देवी यात्रा को देख सभी दर्शक आस्था हर्षोल्लास से भर गए। तदुपरांत मुख्य परिसर से हर्षिता जोशी और अक्षिता द्वारा एकल नृत्य का सुंदर प्रदर्शन हुआ और इन कार्यक्रम द्वारा भारत की विभिन्न राज्यों की झलक दिखाई गई। मदरहुड आयुर्वेदिक कॉलेज ,क्वाड्रा इंस्टिटूट, कोर इंस्टिटूट , ऋषिकुल व गुरुकुल परिसरों द्वारा गढ़वाली, कुमाऊँनी, राजस्थानी, गुजराती आदि नृत्य की सुंदर प्रस्तुति की गयी।ब्रह्मकमल* ग्रुप व *संस्कृति* (कुमाउन्नी) ग्रुप-संस्कृति विभाग, देहरादून की नृत्य प्रस्तुति बहुत ही सुंदर रूप में प्रस्तुत की गई जिन्हें देख कर दर्शक अपनी कुर्सियों पर झूमने लगे।
इन कार्यक्रमो के दौरान विश्वद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश अधाना, श्री अमित कुमार जैन, मुख्य वित्त अधिकारी, प्रोफ़ेसर बालकिशन पवार उप कुलसचिव, प्रोफेसर डीपी पैन्यूली मुख्य परिसर निदेशक, प्रो० ओपी सिंह, डॉक्टर संजय गुप्ता उप कुलसचिव, डॉ राजीव कुरेले, डॉक्टर शैलेंद्र प्रधान उप कुलसचिव, चंद्रमोहन पै्न्यूली निजी सचिव कुलपति महोदय,डॉक्टर एमपी सिंह, डॉक्टर हरदेव रावत, डॉ मन्नत मरवाहा ,डॉ आर. के. गौतम, प्रो०वीरेन्द्र तम्टा, डॉक्टर सतीश कुमार, डॉक्टर अखिलेश कुमार डॉ अजय विश्वकर्मा, विवेक वर्मा, आदि भी मौजूद रहे। मंच का संचालन डॉ नरेश चौधरी द्वारा किया गया। हिमालयन इंस्टीट्यूट द्वारा योगा का अतयंत सुंदर प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम में गायन प्रदर्शन भी किया गया। विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह एवं विजय दिवस के उपलक्ष में खासतौर पर वीररस एवं शौर्य देशभक्ति रचनाओं के लिए सुप्रसिद्ध के देश के जाने-माने विद्वानों कवियों से महफिल जमाई गई। देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सुप्रसिद्ध हास्य एवं वीर रस कवि श्रीकांत श्री द्वारा संचालन किया गया जिसमे विनोद पाल, देश-विदेश में ख्याति प्राप्त वीर रस के कवि गजेंद्र सोलंकी, देहरादून की प्रसिद्ध कवित्री महिमा श्री, के प्रमुख हास्य कवि सर्वश्री प्रताप फौजदार , प्रसिद्ध कवि सुनील साहिल ने दर्शको को हास्य रस से लोट पोट कर दिया। उनकी निम्न रचनाएं रही जिनको सभी लोगों ने दिल से सराहा एवं प्रशंसा की और खूब तालियां जिनके लिए दर्शकों ने बजाई। यथा
“भले ही दीप से पूजा तू आठोयम मत करना,
मिले कोई मोहल्ले में तो राधेश्याम मत करना, नमन करना या मत करना कोई कुछ ना कहेगा पर, शहीदों की शहादत को कभी बदनाम मत करना।”(श्रीकांत श्री)
“चीनी लोग स्टिक से खाना खाते हैं, भारतीय सैनिकों ने उनकी भोजन परंपरा का पूरा ख्याल रक्खा, इसलिए लट्ठ से खिलाया। चीन सोच रहा है कि वे एक एक इंच जमीन पे कब्जा करेंगे। वो अरुणाचल प्रदेश में पिछले दिनों बाढ़ आई हुई थी, मैंने कहा लीटर में ले लो।”(सुनील साहिल, पुणे), “आपके लिए चंद कतरे लहू के लाया हूँ
मुरझा गया हूँ पर फूल खुशबू के लाया हूँ और आप लोगो को ताली बजानी ही होगी
मैं घर से पत्नी के पैर छू के आया हूँ।”(विनोद पाल, दिल्ली) “जन गण मन के अमर स्वरों का गान तिरंगा है भारत के स्वर्णिम सपनों की शान तिरंगा है बलिदानी पवनों के झोंकों से जो लहराया भारत माँ का गौरव औ सम्मान तिरंगा है।”
(गजेन्द्र सोलंकी , दिल्ली)
“एक दफा देख ले मै खुद ही सवर जाऊंगी इतना म्हकूंगी इत्र बनके बिखर जाऊंगी करूंगी पार वो हर दरिया जो रोकेगा मुझे मै तेरे इश्क में यूं हद से गुजर जाऊंगी।”(महिमा श्री) कार्यक्रम के अंत में अंत में तीनों परिसरों की 1 डॉक्यूमेंट्री दिखाकर प्रभारी कुलसचिव डॉ अधाना द्वारा सभी का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया । विशेष रुप से प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के सभी बंधुओं का आभार व्यक्त किया गया जिन्होंने बहुत संजीदगी एवं जोर-शोर से दीक्षांत समारोह का प्रचार प्रसार किया। आयुर्वेद शिक्षा के में विशिष्ट स्थान रखने वाले उत्तराखंड देव भूमि उत्तराखंड के उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा भव्य दीक्षांत समारोह एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं कवि सम्मेलन की अपार सफलता के लिए सभी शिक्षक संवर्ग, चिकित्सक, कार्यालय स्टाफ, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, द्वारा हर्ष एवं प्रसन्नता व्यक्त की गई!