कांवड़ियों को पर्यावरण संरक्षण का कराया संकल्प घर-घर तुलसी, हर घर तुलसी- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

परमार्थ निकेतन द्वारा कांवडियों को वितरित किये तुलसी के पौधे
राजाजी नेशनल पार्क बाघखाला से सैकड़ों तुलसी के पौधे बांटे
कांवड़ियों को पर्यावरण संरक्षण का कराया संकल्प
घर-घर तुलसी, हर घर तुलसी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेष, 1 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से आज कांवडियों और शिवभक्तों के परमार्थ निकेतन द्वारा सैकड़ों की संख्या में तुलसी के पौधें बांटे। कांवडियों को कांवड यात्रा की याद में पौधा रोपण करने का संकल्प कराया।
देश के विभिन्न राज्यों से आये कांवडियों ने बड़ी ही प्रसन्नता से कांवड की यात्रा की याद में तुलसी का पौधा रोपण का संकल्प किया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने पपेट शे के माध्यम से शिवभक्तों को पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण का संदेश दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि अब समय आ गया है कि घर-घर तुलसी, हर घर तुलसी, जय-जय तुलसी, जग में तुलसी हो ताकि हमारे आस-पास स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण का निर्माण किया जा सके। हर घर और हर घाट पर तुलसी का रोपण हो ताकि तुलसी जी के महत्व को पूरा विश्व समझ सके।
भारतीय दर्शन और संस्कृति में तुलसी जी का विशेष महत्व हैं, तुलसी जी विभिन्न रूपों के साथ चमत्कारी महाऔषधी के रूप में अनेक औषधीय गुणों से युक्त है। हमारे ग्रंथों में, भारतीय जीवन पद्धति में तथा गांवों से लेकर शहरों तक हर घर में तुलसी जी को पवित्र स्थान दिया गया है।
वैज्ञानिक आधार पर कहा गया है कि तुलसी की लकड़ी में विद्युतीय गुण होता है इसलिये तो तुलसी की माला भी धारण की जाती है, जिससे शरीर में विद्युतीय प्रभाव बढ़ जाता है जिससे हम अनेक रोगों के आक्रमण से भी बच सकते हंै।
तुलसी रोगों से हमारी रक्षा करती है इसलिये आयुर्वेद के माध्यम से पूरे विश्व में अद्भुत पहचान बनायी है। अथर्ववेद के अनुसार तुलसी में त्वचा सम्बंधित अनेकों रोगों को नष्ट करने की सबसे गुणकारी और उत्तम औषधी है। महर्षि चरक और सुश्रुत जी ने भी श्वास रोग, पाश्र्वशुल, वातनाशक, कफनाशक अपचन, खांसी आदि अनेक रोगों में तुलसी अत्यधिक लाभदायक है। साथ ही तुलसी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने का सर्वोत्तम माध्यम है। कोरोना के काल में तुलसी कोरोना का महाकाल और महाऔषधि बनकर आयी थी। पर्यावरणविद्ों ने भी तुलसी के पौधों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना है। पर्यावरण को शुद्ध करने वाला पौधा तुलसी जिसमें मानव को स्वस्थ करने के चमत्कारी गुण है आयुर्वेद हो, होमियोपैथी हो, युनानी हो या घरेलु नुस्खे हो सभी ने तुलसी को औषधिय गुणों से युक्त पाया है। पर्यावरण के संतुलन के लिये, आत्मिक विकास के लिये, शरीर के शोधन के लिये इम्यूनिटी के संर्वद्धन के लिये घर-घर में तुलसी जी का रोपण करें।
इस अवसर पर सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, श्री अरूण सारस्वत, रूचि राय चैधरी, उपासना पात्रा, रामचन्द्र शाह, कुष्ण कुमार चैधरी, देवजी, किशोर भट्ट, मीना मल्होत्रा, कल्पना, ज्योति, अनीता मिश्रा, ऋषभ तथा परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार उपस्थित थे।