सत्पुरुष अपनी मृत्यु की चिंता नहीं चिन्तन करते: पं0रविन्द्र भारद्वाज संघर्षी जी महाराज, ‌

चांदपुर -मौ0-गोकुल नगर, चन्द्र लोक कालोनी (सिलारा) पर स्थित “श्री विष्णु धाम मंदिर व आश्रम” में चल रही “श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ” के द्वितीय दिवस पर कथा प्रवक्ता पं0रविन्द्र भारद्वाज संघर्षी जी महाराज, ‌ प्रवचन करते हुए, कहा कि “जिस प्रकार राजा परीक्षित के पास केवल सात ही दिन थे, इसी प्रकार हम सब भी राजा परीक्षित के समान ही है। क्योंकि हम सबको भी इन्हीं सात दिनों में जाना है, और “काल रूपी तक्षक” नाग न जाने इन सात दिनों में ही हम सबको किस दिन डस ले। इसी कारण सत्पुरुष अपनी मृत्यु की चिंता नहीं चिन्तन करते हैं।और मौक्ष का साधन इसी ही जन्म मे जुटाने का भरसक प्रयास करते हैं। श्री संघर्षी जी महाराज ने कहा कि “कलियुग में “श्रीमद्भागवत जी” ही भगवान श्री कृष्ण जी की “वांग्मय स्वरूप” है।श्रीमद्भागवत जी,के चार अक्षर ही सम्पूर्ण भागवत जी का दर्शन करा देते हैं।
जैसे-भा+ग+व+त,अर्थात-भा-स्वरूप-भगति,ग-स्वरूप-ज्ञान,व-स्वरूप-वैराग,त-स्वरूप-तरण, अर्थात-“भगति, ज्ञान, वैराग्य, द्वारा सम्पूर्ण मानव समाज को संसार से तारने वाली, ज्ञानमयी मां भगीरथी। कथा में श्री चाहत गुप्ता, सपत्नीक परीक्षित जी के रूप में मुख्य यजमान रहे। इस अवसर पर श्री सुरेशचंद्र गुप्ता रमेश चंद्र गुप्ता, नरेशचंद्र गुप्ता, दिनेश चंद्र गुप्ता, नानकचंद गुप्ता,कु0पारूल गुप्ता, रितिका गुप्ता, कुंज गुप्ता, ममता भारद्वाज, कुसुम शर्मा, बबिता अग्रवाल, दिव्या अग्रवाल, बीना देवी,कु0 साक्षी पवार, श्री जयसिंह, बजरंगी, गोपीचंद, राजपाल सिंह, कार्तिक भारद्वाज, हर्षित भारद्वाज, सचिन गुप्ता,अंकित शर्मा, राहुल शर्मा, पंकज शर्मा,शिवा शर्मा,दीपक शर्मा, इत्यादि का विशेष सहयोग रहा।