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आओ कन्हैया………..
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जोहत बाट सदा से ही सागर ,
पीत वसन धरि आओ कन्हैया ।
हो करुणा के जो सागर तो तुम, झट करुणा भरि आओ कन्हैया ।।
सावन भी तो लगे नहिं सावन ,
बहे दृग से सरि आओ कन्हैया ।
हरि हो जो तो हरो दुःख आकर ,
बसे उर में हरि आओ कन्हैया ।।
पकड़ो कर दीनों के नाथ,सखा, सकूं भव को तरि आओ कन्हैया ।
मन में छुपें विकार बनें अरि ,
निकसें सब अरि आओ कन्हैया ।।
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©️डा० विद्यासागर कापड़ी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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