नवरात्रि आत्मावलोकन का पर्व -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 की शुभकामनायें
 
नवरात्रि आत्मावलोकन का पर्व
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
 

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 की शुभकामनायें देते हुये कहा कि हिन्दू नववर्ष और नवरात्रि पर्व आध्यात्मिक चेतना के संचार का पर्व हैं। यह अवसर सभी के लिये न्याय तथा शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बंसतोत्सव और नववर्ष महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी तब इस तिथि को प्रथम स्थान दिया गया है इसलिये इसे प्रतिपदा भी कहा जाता है तथा इस तिथि को सर्वोत्तम माना गया है।आज चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. आज परमार्थ परिवार के सदस्यों ने प्रातःकाल नवरात्रि के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में घटस्थापना और हवन कर मां दुर्गा का आह्वान किया।

स्वामी जी कहा कि नवरात्रि पर्व भीतर की यात्रा का पर्व है, हमारे भीतर भी एक रात्रि है, जो कई बार हमें दिखती नहीं है। रात्रि से तात्पर्य अन्धकार, दिवस का मतलब प्रकाश से है। नवरात्रि का पर्व भीतर के अन्धकार से भीतर के प्रकाश की ओर बढ़ने का पर्व है। नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, आत्म निरीक्षण का पर्व और भीतर की यात्रा का पर्व है। नवरात्रि के नौ दिनों आत्मावलोकन के दिन होते है।

स्वामी जी ने कहा कि ’’हम नव वर्ष को आध्यात्मिक रूप से मनायें। विगत वर्ष के सभी नकारात्मक विचारों और नकारात्मक चितंन को छोड़ कर एक सकारात्मक जीवन की शुरूआत करंे। आईये आज नववर्ष के अवसर पर हम सभी एकजुट होकर एक बेहतर और शान्तिपूर्ण दुनिया बनाये रखने का संकल्प लें।