वर्ल्ड टीबी डे 2022
उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की उपस्थिति में “स्टेप अप टू एंड टीबी 2022” शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया
‘टीबी मुक्त भारत’ अभियान में अनुकरणीय योगदान करने के लिए सभी से टीबी पीडि़त बच्चों को अपनाने का आग्रह किया
जनभागीदारी और जन आंदोलन के माध्यम से हम टीबी को हराने और टीबी के लिए एसडीजी लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं: डॉ. मनसुख मांडविया
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 2025 तक टीबी को समाप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी पृष्ठभूमि के लोगों को एक जन आंदोलन में एक साथ लाने के लिए एक सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि वे सभी के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने, जागरूकता पैदा करने और बीमारी से जुड़े किसी भी सामाजिक लांछन को दूर करने का प्रयास करें। उन्होंने बीमारी से पीड़ित बच्चों और उनके तथा उनके परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि बचपन में होने वाले टीबी को समाप्त करने की अत्यावश्यकता है। टीबी से पीडि़त बच्चों को अपनाने के लिए व्यक्तियों, सरकारी और निजी संगठनों, शिक्षा संस्थानों, एनजीओ आदि को प्रोत्साहित करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने शिखर सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा कि वे भी उन्हें अपनाएं और टीबी से देश की प्रतिबद्ध लड़ाई में अनुकरणीय योगदान दें। उन्होंने कहा, “माता-पिता, समुदायों, स्कूलों और आंगनबाड़ियों को प्रोत्साहित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है ताकि समय पर इलाज के लिए टीबी से पीडि़त बच्चों की जांच कराई जा सके।”
राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में उठाए गए अनेक कदमों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि “हमारे प्रयास विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पिछले साल तक हम टीबी और कोविड-19 की दोहरी चुनौतियों का मुकाबला कर रहे थे। वास्तव में, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाने के साथ कोविड और टीबी के लिए दोतफा स्क्रीनिंग करने से सूचना देने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।” उन्होंने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रतिनिधियों, महिला एसएचजी, छात्र संगठनों और अन्य हितधारकों के एक मजबूत नेटवर्क के संदर्भ में देश की क्षमताओं पर प्रकाश डाला जिन्हें अपने नागरिकों के कल्याण और सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए कुशलतापूर्वक जुटाया जा सकता है।
डॉ. मनसुख मांडविया ने कार्यक्रम में ‘विशेष संबोधन’ में कहा कि 360 डिग्री का समग्र दृष्टिकोण भारत में टीबी उन्मूलन की आधारशिला है। हम एसडीजी के 2030 तक टीबी उन्मूलन के निर्धारित लक्ष्य से पांच वर्ष पहले 2025 तक टीबी को समाप्त करने की प्रधानमंत्री की संकल्पना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, सभी राज्यों के सक्रिय प्रयासों और हमारे देश के नेतृत्व द्वारा कार्यक्रम के लिए निरंतर मार्गदर्शन के कारण कार्यक्रम चुनौतीपूर्ण समय के साथ आगे बढ़ा है।” टीबी के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने के लिए समाज और सरकार को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। गैर सरकारी संगठन, सीएसओ और अन्य हितधारकों को इस सोच पर काम करने की आवश्यकता है कि टीबी मुक्त भारत के लिए काम करना उनका अपना कर्तव्य है। राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को उनके प्रयासों के लिए पुरस्कृत करते हुए, उन्होंने कहा कि “योग्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की प्रशंसा उन्हें बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी और इससे हमें टीबी को हराने में मदद मिलेगी।”
कोविड से उत्पन्न चुनौतियों की चर्चा करते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “दो साल से अधिक समय से, हम टीबी की व्यापकता के अलावा वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं। दोनों रोग अत्यधिक संक्रामक, वायु-जनित हैं और परिवारों और समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, आइए जन आंदोलन और जन भागीदारी के माध्यम से हम टीबी के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई में विभिन्न हितधारकों और भागीदारों को शामिल करें, ठीक उसी तरह जैसे हमने कोविड-19 के खिलाफ मिलकर लड़ाई की।” उन्होंने सुझाव दिया कि “बच्चों को गोद लेने के अलावा, हम वहां के स्थानीय प्रशासन की मदद से ब्लॉक, जिलों को अपनाने की दिशा में एक कदम आगे जा सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि ”हमने देश भर में मरीजों की पहचान, इलाज और सहायता की एक व्यवस्था की है। नई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और इलाज के तौर-तरीके आ रहे हैं जिनका इस्तेमाल टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में किया जा सकता है।” सेवा वितरण प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन जैसी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग टीबी उन्मूलन की दिशा में किया जा सकता है।
डॉ. भारती प्रवीण पवार ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को उनके काम के लिए धन्यवाद दिया, उन्होंने कहा कि कोविड-19 प्रबंधन कार्य प्रणाली के लिए भारत की सराहना की गई और इसी तरह हम टीबी उन्मूलन प्रयासों के साथ फिर एक उदाहरण बना सकते हैं। “ कोविड महामारी से मिली सीख हमारी मदद कर सकती है। शासन के विभिन्न स्तरों पर किए गए प्रयास चाहे वह जिला स्तर, ब्लॉक स्तर, पंचायत या सामुदायिक स्तर पर हों उन्हें प्रभावशाली ढंग से कारगर बनाया जा सकता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने “डेयर टू इरेड टीबी” कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की, जो भारतीय डेटा पर आधारित होगा, और डब्ल्यूएसजी टीबी निगरानी के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम का गठन होगा। उन्होंने रोग जीव विज्ञान, दवाओं की खोज और देश से टीबी के कष्ट को दूर करने के लिए वैक्सीन तैयार करनेमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. वी.के.पॉल ने कहा कि महामारी ने हमें दिखाया है कि नैदानिक सेवाओं को हर घर तक पहुंचाने के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा घर में देखभाल और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए राज्यों में व्यवस्था लागू की गई है। इस तरह के उदाहरणों का इस्तेमाल टीबी समाप्त करने के हमारे कार्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने आदिवासी आबादी तक पहुंचने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उपेक्षित समुदायों पर इस बीमारी का बहुत अधिक बोझ है और इस पर तेजी से ध्यान देने की जरूरत है।
इस अवसर पर अनेक रिपोर्ट और नए इंटरवेंशन जारी किए गए। भारत टीबी रिपोर्ट 2022 और राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण रिपोर्ट ने देश में टीबी की स्थिति को दर्शाया। अन्य रिलीज जैसे सी-टीबी पर रिपोर्ट (टीबी संक्रमण निदान के लिए नया त्वचा परीक्षण), एक्स्ट्रा-पलमोनरी टीबी और बाल चिकित्सा टीबी (पुस्तक और मोबाइल एप्लिकेशन) के प्रबंधन के लिए मानक उपचार कार्यप्रवाह जारी की गई और आईएनटीजीएस (भारतीय टीबी जीनोमिक निगरानी कंसोर्टियम) की घोषणा की गई। आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रोंके माध्यम से 21 दिवसीय अभियान- एक जन आंदोलन शुरू कराने और 14 अप्रैल, 2022 को उसके समापन के लिए शुरू किया गया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण,आईसीएमआरके महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव डॉ. राजेश एस गोखले, डीजीएचएसडॉ. सुनील कुमार, एएस और एमडी (एनएचएम) श्री विकास शील, अन्य वरिष्ठ अधिकारी और टीबी चैंपियन भीकार्यक्रम में मौजूद थे।