ऋषिकेश, 20 मार्च। परमार्थ निकेतन में इंटरनेशनल डे आफ हैप्पीनेस के अवसर पर स्वस्थ, प्रसन्न और ऊर्जावान बने रहने के लिये योग को आत्मसात करने का संदेश दिया। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की थीम ‘शांत रहो, समझदार रहो और दयालु रहो’ निर्धारित की गई है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जीवन में खुशी और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि हम प्रत्येक स्थिति में शांत रहें क्योंकि शान्ति ही स्व से समष्टि तक की खुशी का आधार है। जब तक हमारे समाज में शान्ति होगी तभी तक हम खुशी का आनन्द ले सकते। जब हम दूसरे के दुख को अपना दुख समझने लगते है तब हम वास्तव के करूणा और आन्नद का अनुभव कर सकते है। हमें प्रसन्न रहने के लिये अपने दुखों को सम्भालना आना चाहिये। वर्तमान समय में हमारे आस-पास जितनी भी भौतिक वस्तुयें विद्यमान है वह हमारे दुख और पीड़ा को छिपाने का कार्य करती है परन्तु अध्यात्म दुख को सम्भालने की शक्ति प्रदान करता है।
अध्यात्म, भारतीय संस्कृति और संस्कार हमें जागरूक होना सिखाते हैं। आन्तरिक प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिये अध्यात्म से बेहतर कोई दूसरा मार्ग नहीं है। हैल्थ, हैप्पीनैस और होलीनेस (आध्यात्मिकता) का संगम ही जीवन है। अपने जीवन में अध्यात्म, दैवीय अनुग्रह और दिव्यता का अनुभव करना प्रसन्नता का आधार है इसलिये जीवन में हैल्थ, हैप्पीनैस और होलीनेस इन तीनों का होना नितांत आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि प्रसन्न रहने का सबसे सरल मंत्र है जीवन में जो भी हो रहा है हम उससे बंध कर न रह जाये क्योंकि जब हम किसी चीज से बंध जाते है तो वह दुख का कारण बन जाता है। वास्तव में देखे तो हमारे अस्तित्व, हमारी सुरक्षा और प्रसन्नता के लिये शान्ति और विश्वास की शक्ति अत्यंत आवश्यक है।
हम जो चाहते है वह नहीं होता तो हम तनाव में रहते है। परिस्थितियों के हिसाब से हमारे अन्दर की स्थिति में परिवर्तन होता है जिससे तनाव उत्पन्न होता है इसका सबसे श्रेष्ठ समाधान यही है कि हम सभी स्थितियों को स्वीकार करना सीख लें तो जीवन में प्रसन्नता; हैप्पीनैस अपने आप आ जायेगी। हमारे अन्दर हर परिस्थतियों को स्वीकार करने का भाव आ जायेगा तो जीवन से तनाव कम होगा और हम स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे।
शान्ति ही स्व से समष्टि तक की खुशी का आधार -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस
इंटरनेशनल डे आफ हैप्पीनेस
शान्ति ही स्व से समष्टि तक की खुशी का आधार
स्वामी चिदानन्द सरस्वती