मन की बात मोदी 2.0 (33वीं कड़ी, 27 फरवरी 2022)
हमें गर्व से अपनी मातृभाषा में बोलना चाहिए
कोविड जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत हर क्षेत्र में अपनी सफलता की नई गाथा लिख रहा है। इसी का परिणाम है कि हजार साल पुरानी धरोहरों को स्वदेश लाने में बीते सात वर्षों में भारत ने कीर्तिमान स्थापित कर दिया है तो भारतीय आयुर्वेद देश के साथ-साथ दुनिया में भी पुरानी प्रतिष्ठा वापस हासिल कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ प्रोग्राम में इन सफलताओं के अलावा स्वच्छता मुहिम से नई प्रेरणा, स्थानीय संगीत को बढ़ावा देने और मातृभाषा के गौरव का भी जिक्र किया। पेश है ‘मन की बात’ के महत्वपूर्ण अंश:
आयुर्वेद का बढ़ता प्रसार: पिछले सात वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है और अब इसके सार्थक परिणाम भी नजर आ रहे हैं। केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा जी ने अपनी बेटी के आयुर्वेद उपचार से आंखों की रोशनी वापस पाने के बाद भारत के आयुर्वेद ज्ञान व विज्ञान को अपने देश में ले जाने की इच्छा जताई हैं। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी आयुर्वेद के बहुत बड़े प्रशंसकों में से एक हैं। पिछले कुछ समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में कई नए स्टार्ट अप सामने आए हैं और आयुष स्टार्ट अप चैलेंज उनको सपोर्ट प्रदान करने की दिशा में एक पहल है।
स्वच्छता बन रही प्रेरणा: समय के साथ स्वच्छ भारत मिशन का काफी विस्तार हुआ। असम के कोकराझार स्थित मॉर्निंग वॉकर्स नामक एक समूह ने असम में ‘स्वच्छ एवं हरित कोकराझार मिशन’ की प्रशंसनीय पहल की है। विशाखापट्टनम में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत पॉलीथीन के बजाए कपड़े के थैलों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुंबई स्थित सोमैया कॉलेज के छात्रों ने कल्याण रेलवे स्टेशन की दीवारों को सुंदर पेंटिग्स से सजाया है। रणथंभौर में ‘मिशन बीट प्लास्टिक’ नामक अभियान के जरिए युवाओं द्वारा वहां के जंगलों से प्लास्टिक और पॉलीथीन को हटाया जा रहा है।
धरोहरों की वापसी में सफलता: हमारी बहुमूल्य धरोहर की स्वदेश वापसी हो रही है, हर भारतीय को यह गौरवान्वित कर रहा है। हम इटली से अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की एक हजार साल पुरानी मूर्ति को वापस लाने में सफल रहे हैं। भगवान आंजनेय्यर हनुमान जी की मूर्ति इसी महीने हमें ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त हुई। 2013 तक करीब 13 प्रतिमाएं भारत आई थी। लेकिन पिछले 7 वर्षों में हमें 200 से अधिक बहुमूल्य मूर्तियों को वापस लाने में सफलता मिली।
मातृभाषा का गौरव: हमारी मातृभाषाएं हमें जोड़ती हैं। यह हमारी विविधता को भी दर्शाता है। हमारे पास 121 मातृभाषाएं हैं, जिनमें से 14 तो 1 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा रोजमर्रा की जिंदगी में बोली जाती हैं। 2019 में, हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है।
स्थानीय संगीत को बढ़ावा देने की नई पहल: भारतीय संगीत का जादू ही कुछ ऐसा है, जो सबको मोह लेता है। भारतीय संस्कृति के प्रति तंजानिया के लोकप्रिय भाई-बहन किली और नीमा का जुनून सराहनीय है। ऐसी पहल की जाए, जिसमें विदेशी नागरिकों को भारतीय देशभक्ति के गीत गाने के लिए आमंत्रित किया जाए। युवा भी लोकप्रिय क्षेत्रीय गीत के वीडियो बनाएं और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को बढ़ावा दें।
वोकल फॉर लोकल: वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देते हुए होली और अन्य त्योहारों को मनाएं। स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करें और अपना सपोर्ट दें। स्थानीय उत्पादकों के जीवन में भी रंग भरें, उमंग लाएं। उन छोटे व्यवसायियों को बारे में सोचें जो आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।