पर्यावरण, प्रकृति और जल स्रोतों की सुरक्षा हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, संस्कारों और अमूल्य परंपराओं का एक अभिन्न अंग -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

पर्यावरण, प्रकृति और जल स्रोतों की सुरक्षा हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, संस्कारों और अमूल्य परंपराओं का एक अभिन्न अंग
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 4 मार्च। राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा तभी संभव है जब तक हमारा पर्यावरण और प्रकृति सुरक्षित है। हमारा पर्यावरण, प्रकृति और जल स्रोतों की सुरक्षा हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, संस्कारों और अमूल्य परंपराओं का एक अभिन्न अंग है।
अथर्ववेद में कहा गया है कि हमारा स्वर्ग यहीं धरती पर ही है। अगर हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं अर्थात हम अपने स्वर्ग व भविष्य दोनों को प्रदूषित कर रहे हैं। मनुष्य ने विकास के नाम पर अपने ही जीवन के लिये अनेक समस्याएँ उत्पन्न की हैं, जिनमें पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। इसके प्र्र्र्र्र्र्रति जागरूक होकर ही हम अपने पर्यावरण और अपने भविष्य दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें जागरूकता के साथ सहभागिता भी बढ़ाने की आवश्यकता है। बच्चों को पर्यावरण जागरूकता, पर्यावरण संबंधी शिक्षा का विकास करने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिये पर्यावरण की रक्षा से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों का ज्ञान कराना अत्यंत आवश्यक है।
आज के दिन का प्राथमिक उद्देश्य दुर्घटनाओं और किसी अन्य आपात परिस्थिति को रोकने के लिये आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही समाज की रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना और जनसमुदाय में अपने साथ प्रकृति की सुरक्षा की संस्कृति तथा वैज्ञानिक मानसिकता विकसित करना है। प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश में 1.50 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है और इससे भी अधिक संख्या में लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते हैं, जिसके कारण पीड़ित परिवारों के साथ-साथ संपूर्ण देश को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। कार्यस्थलों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल के प्रति जागरूकता और प्रतिबद्धता बढ़ाने के साथ आज का दिन सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन करने हेतु प्रतिबद्धता का संदेश देता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस जनसमुदाय और कार्यालयों मंे काम करने वाले कर्मचारियों को सावधानी से काम करने, स्वास्थ्य की सुरक्षा, सड़क सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति और जल स्रोतों की सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिये मनाया जाता है।