चंद्रशेखर आजाद युवा पीढ़ी के प्रेरक और मार्गदर्शक -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर नमन
चंद्रशेखर आजाद युवा पीढ़ी के प्रेरक और मार्गदर्शक
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 27 फरवरी। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों से कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने इस महान देश को आज़ाद करने के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। उनका प्रसिद्ध उद्घोष ‘स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसको लेकर रहेंगें’ भारत के तत्कालिन नागरिकों और स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के लिये एक शक्तिशाली हथियार सिद्ध हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, देशभक्ति एवं वीरता की कहानियों और प्रेरक संदेशों से परिचय करना अत्यंत आवश्यक है। चन्द्रशेखर आजाद भारतवर्ष के गौरव है, उन्होंने भारतीयों के आत्मसम्मान और भारत माता के प्रति आत्मसमर्पण के लिये आखिरी गोली से खुद की जान ले ली, क्योंकि आजाद हमेशा आजाद रहना चाहते थे।
स्वामी जी ने चन्द्रशेखर आजाद से जुड़ा किस्सा सुनाते हुये कहा कि एक बार जेल में जब अंग्रेज उनसे पूछताछ कर रहे थे तो उन्होंने अपने पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया था। उनकी यह बात उनकी देश भक्ति, देश प्रेम और समर्पण को दर्शाती है।
स्वामी जी ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने वीरता और साहस के साथ अपने राष्ट्र की निःस्वार्थ सेवा की। इस महान देशभक्त ने बहुत कम उम्र में ही अपना जीवन भारत माता की सेवा हेतु समर्पित कर दिया। वे युवाओं के प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनकी नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी, विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न और अपार संगठन क्षमता से उन्हें ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ को ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के रूप में पुनर्गठित करने और उसे मजबूत बनाने का कार्य किया।
27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद (प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हो गई परन्तु वे प्रत्येक भारतीय के हृदय में हमेशा जीवंत बने रहेंगे। आज उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि और उनकी देशभक्ति को नमन।