हरिद्वार-इस वर्ष मॉरिशस में ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद’ विषय पर त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन ‘स्वास्थ्य २०२४’ मॉरिशस के अंतर्गत २८अक्टूबर से ३०अक्टूबर २०२४ तक भव्य रूप से सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
इस सम्मेलन का आयोजन एवं संचालन ‘मेदा आयुर्योग पीठ(मॉरिशस) और ब्रह्मभूमि हेल्थ रिसर्च सेण्टर(नेपाल) द्वारा भारतीय उच्च आयोग(हाईकमीशनऑफ़इंडिया),इंदिरागाँधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (इंदिरागाँधी सेण्टर फॉर इंडियन कल्चर),इंडियन कौंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन्स और मॉरिशस तेलुगु महासभा के सहयोग से किया गया।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में कई देशों के आयुर्वेद एवं फार्मास्यूटिकल साइंस सम्बंधित शैक्षणिक संस्थानों से विशेषज्ञ व आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अतिरिक्त फार्मा कंपनी के प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए |
इस सम्मेलन में देश, विदेश से आये प्रतिनिधियों ने आयुर्वेद के प्रचार,प्रसार के साथ ही वैश्विक स्तर पर इसकी महत्तता पर अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर प्रो(डॉ) हरिमोहन चंदोला, (अध्यक्ष,संस्थागत नैतिक समिति एवं सदस्य अनुसंधान समिति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय) को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।अपने मुख्य उद्बोधन में उन्होंने “आयुर्वेद में मधुमेह और इसके प्रबंधन में अद्यतन प्रगति” विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।इसके अतिरिक्त “देहमानस एवं जीवनशैली जन्य विकारों में आयुर्वेद की चिकित्सीय उपयोगिता” विषय पर भी उन्होंने वैज्ञानिक मापदंडों पर आधारित सारगर्भित व्याख्यान दिया।
प्रो(डॉ) एच.एम.चंदोला का गहन अध्ययन और विश्लेषण युक्त प्रकाशित शोध प्रपत्र श्रोताओं के लिए ज्ञानवर्धक और साथ ही साथ प्रेरणादायक भी रहा, जिसकी सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
इस सम्मेलन में आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए शीर्ष प्रदर्शन करने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों को पुरस्कृत भी किया गया।
यह उत्तराखंड के लिए अत्यधिक गौरव और सम्मान की बात है कि आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रो डॉ.एच.एम चंदोला को “प्रोफेसर हरिशंकर शर्मा मेमोरियल अवार्ड” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान आयुर्वेद की चिकित्सा को बढ़ावा देने और बढ़ाने में उनके असाधारण कौशल, अटूट समर्पण और महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करता है।
“प्रोफेसर माधवसिंह बघेल मेमोरियल पुरस्कार” यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉरीशस में “आयुर्वेदिक चेयर” पर कार्यरत प्रो ईश शर्मा को उनके मॉरिशस के ३ वर्ष के कार्यकाल में आयुर्वेद की उन्नति, प्रचार, प्रसार एवं उल्लेखनीय सेवाओं हेतु दिया गया।
मॉरीशस में एक साक्षात्कार के दौरान प्रो(डॉ) चंदोला ने कहा कि अब दिन दूर नहीं जब आयुर्वेद द्वारा समाज को स्वस्थ और खुशहाल रखा जा सकेगा मगर ज़रुरत है तो समाज को जागरूक करने की।उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व एक है और भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करता है।इसलिए आयुर्वेद को केवल भारत तक ही सीमित नहीं रखना है अपितु विश्व भर में प्रसारित करना है।जनता को इस विषय पर शिक्षित करने की आवश्यकता है।साथ ही मॉरीशस में आयुर्वेद को वहाँ के नेशनल हेल्थ सिस्टम में मुख्य चिकित्सा पद्धति के साथ संघटित किया जाना चाहिए।यह रोगी की आवश्यकता और चिकित्सक के विवेक पर निर्भर है कि कहाँ आयुर्वेद को मुख्य चिकित्सा के रूप में अपनाया जाये और कहाँ एलोपैथिक चिकित्सा के साथ सहायक मेडिसिन के रूप में प्रयोग किया जाये ताकि सिंथेटिक मेडिसिन के संभावित टॉक्सिक प्रभावों से बचा जा सके।उनका कहना था कि कोई भी चिकित्सा पद्धति स्वयं में पूर्ण नहीं है। अतःआवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन के सर्वोत्तम गुणों को ग्रहण करके नेशनल सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन का विकास किया जाना चाहिए।अपने सन्देश के अंत में डॉ चंदोला ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्रमोदी के कुशल नेतृत्व में योगदिवस के निर्धारण के बाद अब धन्वन्तरि जयन्ती (धनतेरस) दिवस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
भारत और मॉरिशस का संयुक्त प्रयास है कि यहाँ की जनता को आयुर्वेद के द्वारा स्वास्थ्य लाभ हो और समाज निरोग और स्वस्थ रहे |
मॉरिशस में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन के आयोजक और संचालक डॉ ज्ञानेश्वर सिंह गूदोए(मॉरिशस)और डॉ.राकेशसिंह(नेपाल) को सफल आयोजन के लिए प्रो(डॉ)चंदोला ने साधुवाद दिया।देहरादून में मुख्य परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर निदेशक प्रोफेसर राधावल्लभ सती, डॉ राजीव कुरेले,डॉक्टर ईला तन्ना, डॉ शिशिर प्रसाद, डा सुनील पांडे, डॉ मोहन शर्मा आदि वरिष्ठ शिक्षकों, स्थानीय चिकित्सकों, एवं शहर के गणमान्य व्यक्तियों, समाजसेवियो ने प्रोफेसर चंदोला केअचीवमेंट पर हर्ष व्यक्त किया एवं शुभकामनाएं प्रेषित की।विदित हो कि उत्तराखंड के प्रोफेसर एच.एम. चंदोला देश के आयुर्वेद क्षेत्र में विभिन्न वैज्ञानिक एवं चिकित्सीय शोध कार्यों के लिए सुप्रसिद्ध हैं। उनका व्यक्तित्व ज्ञान एवं वैज्ञानिक, चिकित्सकीय एवं सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए विशिष्ट कार्यों के लिए देश विदेश में जाने जाते हैं।
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