रुड़की।ज्योतिष गुरुकुलम,पुरानी तहसील में चल रहे श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथाव्यास आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने कथा में रुद्राक्ष का महत्व बताते हुए कहा कि रुद्राक्ष रोग दूर करता है।रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति संकटों से बचा रहता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।रुद्राक्ष की उत्पति भगवान शंकर के आंसुओ से हुई है।रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शंकर को अधिक प्रिय होता है।आचार्य ने बताया कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।रुद्राक्ष इक्कीस मुखी तक के होते हैं और इनमें ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं।सभी रुद्राक्ष की अपनी-अपनी महिमा है।उन्होंने रुद्राक्ष को वैज्ञानिक रूप से भी उपयोगी बताया है।ये हाइपरटेंशन तनाव जैसी बीमारियों में भी लाभकारी होता है।रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की एकाग्रता में सुधार आता है व मन शांत होता है।हानिकारक गृह के प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है।रुद्राक्ष धारण करने मात्र से भगवान शंकर की कृपा भक्तों को प्राप्त होती है,इसे हम लाल दागे में धारण कर सकते हैं। गुरुदेव ने ये भी बताया की हम अपने गृह अनुसार रुद्राक्ष धारण करके उनके नकारात्मक भी प्रभाव को कम कर सकते हैं।कलयुग में भक्तों को भगवान शिव की अराधना,उपासना करनी चाहिए,इससे सबकी मनोकामना पूर्ण होगी और कष्टों से मुक्ति मिलती है।कथा में संजीव शास्त्री,प्रकाश शास्त्री,राधा भटनागर,चित्रा गोयल,सुलक्ष्णा सेमवाल,अदिति सेमवाल,रेनू शर्मा,पूजा वर्मा व मोनिका आदि मौजूद रहे।