सिद्धपीठ मां भुवनेश्वरी मन्दिर समिति द्वारा 9 अप्रैल नव विक्रम संवत्सर 2081 के शुभ अवसर पर श्रीराम कथा का आयोजन

प्रदीप कुमार

पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि उत्तराखंड में देवी देवताओं कहीं सिद्धपीठ है जहां पर भगवान शिव का वास है। देवी शक्तिपीठों में पौड़ी गढ़वाल के निकट कोट ब्लॉक के सितोनस्यों में मां भुवनेश्वरी का शक्तिपीठ है जहां पर चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल नव विक्रम संवत्सर को भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीराम कथा का शुभारंभ होगा। मंगलवार 9 अप्रैल नव विक्रम संवत्सर 2081 के शुभ आगमन के अवसर पर प्रातः 4 बजे (ब्रह्ममुहूर्त) घण्टाघडिंयाल,शंखनाद आदि वाद्य यंत्रों के वादन के साथ,मां के पुजारी का गर्भ गृह में प्रवेश घटस्थापना,यश पवन व अखंड ज्योति प्रज्वलन के बाद प्रातः कालीन धुयेंल,पूजा अर्चना आरती के बाद प्रातः 9 बजे कलश यात्रा होने के बाद श्रीराम कथा दोपहर 12.30 बजे से 3.30 बजे तक इसके तत्पश्चात प्रसाद वितरण,और सायं 7 बजे से महिला कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन भजन संध्या का आयोजन रात्रि दस बजे तक किया जाएगा। सिद्धपीठ भुवनेश्वरी मन्दिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिगम्बर प्रसाद जुयाल ने बताया कि जगत माता आदिशक्ति भुवनेश्वरी का स्कंद पुराण के केदार खंड में देवी भुवनेश्वरी की महिमा का वर्णन इस प्रकार किया गया है। अन्यच्च ते प्रवक्ष्यामि पीठं सिद्धिप्रदायकं। नाम्ना वो भौवन ख्यातं संघ :प्रत्यय दायकम।। स्कन्द जी कहते हैं- हे नारद जी अब हम सिद्धि प्राप्त करने वाले अन्य तीर्थ का वर्णन करते हैं, शीघ्र विश्वास दिलाने वाला उक्त तीर्थ भौवन के नाम से गंगा जी के पूर्व भाग “चन्द्रकूट” पर्वत पर स्थित है,जहां जगन्माता भुवनेश्वरी शिव सहित निवास करती है,पिता के यज्ञ में अपने को तिरस्कृत या क्रोधावेश में जब सती यज्ञ कुंड में कूद गयी तो सर्वत्र हाहाकार मच गया,यज्ञ विध्वंश करने के पश्चात विरही के समान शोकातुर शिव मोहग्रस्त हो विचरण करते हुए चन्द्रकूट पर्वत “भौवन” नामक स्थान पर पहुंचे, यहां पर सती के देह त्याग की घटना का स्मरण आते ही शिव विहृल हो गये, यह स्थिति देख देवता गण चिंतित हो गये और भगवान के मोह निवारण हेतु भगवती महामाया की स्तुति करने लगे। अनादि निर्धनों देवों माया मोहं प्रवेशित:। किमुत: प्रकृत्या देव्यै नारायण्यै नमो नमः।। देवताओं की प्रार्थना से देवी ने प्रसन्न होकर अपना स्वरूप प्रकट किया और तत्क्षण आकाशवाणी हुई की सती पुनः जन्मधारण कर देवाधिदेव महादेव का अवश्य वरण करेंगी। इस प्रकार जगदंबा के दर्शनों से भगवान शिव का मोह दूर हो गया और पूर्व की भांति स्वस्थ हो गये।(मोहं त्याज्य भगवान स्वस्थश्चैवा भव तत्क्षणांम) तभी से यह सिद्ध पीठ भक्तों की मनोकामना सिद्धि के लिए प्रसिद्ध हो गया। शुद्ध मन और निष्ठा से की गयी पूजा से श्री भुवनेश्वरी मां प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है। सिद्धपीठ मां भुवनेश्वरी में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष वसंतीय चैत्र नवरात्रि में भिन्न-भिन्न प्रकार की सामाजिक धार्मिक और संस्कृत कार्यकर्मों का आयोजन होने जा रहा है। अध्यक्ष दिगंबर प्रसाद जुयाल व सचिव सतीश जुयाल ने हमें अवगत कराया है कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनने की खुशी में हमने सिद्धपीठ भुवनेश्वरी मंदिर में श्रीराम कथा का आयोजन करने का समिति में निर्णय लिया है। श्रीराम कथा में कथावाचक के रूप में आचार्य हरीश ममगाई के मुखारबिंद से कथा श्रवण करने का शुभ अवसर प्राप्त होगा। श्रीराम कथा के आयोजन को लेकर रूपरेखा तैयार की जा रही है,कथा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण का विषय रहेगा। दूर-दराज से महिला कीर्तन मंडलीय कीर्तन भजन करती हुई नजर आएंगी,सभी कीर्तन मंडलियों को भुवनेश्वरी मन्दिर समिति द्वारा पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा विद्यालयों की खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होगा,स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया जाना है जिससे कि ब्लड प्रेशर,शुगर की जांच कि जाएगी इसके अलावा योग-ध्यान योग अभ्यास करवाया जाएगा,मंदिर समिति द्वारा रुकने और खाने की पूर्ण व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि बाहर से आने वाले भक्तों के लिए पूरे नवरात्रि में यह व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं प्रतिदिन अखंड भंडारे की भी व्यवस्था होती है इसके अलावा मंदिर परिसर में एक गौशाला भी संचालित है जहां की लगभग 11 ग्यारह गौमाता हमारे पास है मंदिर परिसर में ही ब्रिगेडियर विद्याधर जुयाल संस्कृत विद्यालय भी संचालित है और गुरुकुल में सुशोभित लगभग 107 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उनके रहने खाने आदि की व्यवस्था भी निशुल्क की जाती है। कुछ छात्रों से निमित्त मात्र फीस लेते है,गुरुकुल के प्रधानाचार्य अनसूया प्रसाद सुंदरियाल,वरिष्ठ आचार्य,हॉस्टल अधीक्षक नवीन जुयाल व अन्य आचार्यगण गुरुकुल में व्यवस्था को बनाए रखने में बहुत मेहनत करते है। भुवनेश्वरी मंदिर समिति के सचिव सतीश जुयाल के द्वारा कहा गया की मंदिर में अभी अन्य कार्य बाकी है जो कि गतिमान है। सिद्धपीठ मां भुवनेश्वरी में स्थानीय गांव जिसमें बंडूल,भवन,वैधगांव,तोंख्या, झांजड़,शिरोनियों,कराकोट,बुरांशी,कांडा आदि गांवों के लोग मन्दिर में अपनी सेवा देते है।
सिद्धपीठ श्री भुवनेश्वरी मंदिर समिति ने सभी भक्तों से कार्यक्रम अनुसार सपरिवार ईस्ट-मित्रों व बंधु-बांधवों सहित मां के पूजन में सम्मिलित होने तथा जगत जननी मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु मंदिर परिसर में पहुंचें।