बसन्तीय नवरात्रि पर विशेेष-लेखक अखिलेश चन्द्र चमोला

 

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। इस वर्ष बसन्तीय नवरात्रि में बन रहे हैं,अद्भुत व प्रभाव कारी योग, सौर मंडल की सत्ता आयेगी मंगल ग्रह के पास,बनेगें सौर मंडल के राजा,मंत्री के पद पर आसीन होगे शनि ग्रह,माता रानी भक्तो के घर सु आगमन करेगी घोड़े पर सवार होकर,जानिये हस्त रेखा विशेषज्ञ,मां काली उपासक,महामहिम राज्यपाल तथा विभिन्न राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित,दर्शन शास्त्र में स्वर्ण पदक से विभूषित पंडित अखिलेश चन्द्र चमोला की लेखनी से हमारी भारतीय संस्कृति अपने आप में अनुपम विशिष्ट व प्रभाव कारी है।इस संस्कृति की अतुलनीयता के आधार पर ही हमारे भारत वर्ष की गरिमा जगत गुरु के रुप में रही है।इस सत्यता को मनुस्मृति में इस प्रकार से उद्घघटित किया है – यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता जिस कुल में नारियों की पूजा,उनका यथोचित सेवा सत्कार होता है,उस परिवार में दिव्य गुण दिव्य भोग,उत्तम संतान होते हैं,जहां अनादर होता है,वहां सब प्रकार की क्रियाएं निष्फल होती हैं।
सही अर्थों में चिन्तन मनन किया जाए तो नारी नर से बढ़कर है।नारी मनुष्य के जीवन में क्ई रूपों में अवतरित होती है।इसी कारण हमारी संस्कृति में नारी को देवी का रूप माना जाता है।इसका साक्षात प्रमाण नवरात्रि का त्योहार है। नवरात्रि के आठवें नवें दिन नौ कुंवारी कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराने व यथोचित उपहार देने की परम्परा रही है।जीवन के विभिन्न रुपों में नारी ही सच्ची मार्ग दर्शिका होती है।मां ही जीवन का आधार तथा केन्द्र बिन्दु होती है। मां के बिना हम जीवन की कल्पना ही नही कर सकते हैं। मां बच्चे को नौ माह गर्भ में धारण करके अनेक प्रकार के कष्ट सहन करती है।इसी कारण मां को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। हमारी सनातन संस्कृति में गंगा माता गो माता पृथ्वी माता कहकर बडी निष्ठा व श्रद्धा के साथ सम्बोधित किया गया है।
नवरात्रि का अर्थ है नौ दिन और नौ रात्रि तक एकाग्र चित्त होकर मां शक्ति की आराधना में लीन होकर सम्पूर्ण भाव से जप तप करना,पूरे वर्ष में चैत्र,आषाढ, अश्विन एवं माघ मास में शुक्ल पक्ष के प्रथम नौ दिन मां शक्ति की पूजा के लिए परम शुभ माने जाते हैं। इन चारों महीनों में चैत्र माह बसन्तीय नवरात्रे एवं अश्विन माह में शारदीय नवरात्रे प्रमुख व विशिष्ट माने जाते हैं।आषाढ एवं माघ मास में मां शक्ति के पर्व गुप्त नवरात्रे के पर्व से जाने जाते हैं।सभी नवरात्रों में मां शक्ति की पूजा दुर्गा शप्त शती के पाठों से की जाती है। ऋग्वेद में कहा गया है-मां भगवती ही महत्वपूर्ण शक्ति है,उन्ही से सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है,इनके अतिरिक्त कोई दूसरी शक्ति नही।
इस वर्ष बसन्तीय नवरात्रे का शुभारंभ अमृत सिद्ध योग और अश्विनी नक्षत्र में 9 अप्रैल मंगलवार के दिन हो रहा है,इस योग चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि का उदय होना मां के भक्तो को बहुत ही शुभ कारी है। सच्चे भाव से मां की पूजा करने से सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होगें,सौर मंडल की सम्पूर्ण सत्ता मंगल ग्रह के हाथ में आ जायेगी,ये राजा बन जायेंगें, मंत्री के रूप में शनि ग्रह अपने दायित्व का निर्वहन करेंगें।मां इस संवत्सर में घोड़े मे सवार होकर भक्तो के यहां शुभागमन करेगी। 17अप्रैल को महा नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करने के साथ मां के पुनीत पर्व का समापन होगा।
नवरात्रि के पर्व पर इन बातों का विशेष ध्यान रखना बहुत जरुरी है,तभी मां की कृपा बनेगी
1-मां की नौ रुपों की पूजा विशेष तरीके से करें,जिस दिन जिस रूप का दिन है,उस दिन उस रुप का ध्यान जरूर करें,
2-नवरात्रि के समय सुबह 8बजे से पहले स्नान करें,
3-नौ दिन तक ज्योति जलायें।
4-नवरात्रि के शुभ दिनों में घर में जो भी भोजन बने उसका सबसे पहले मां को भोग लगायें।
5-सात्विक खाना खायें।
6-अखण्ड ज्योति जलाने पर पूजा स्थल को खाली न छोड़ें।
7-नवरात्रि के दौरान भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग बिल्कुल न करें।
8-मांस मदिरा का प्रयोग न करें।
9-जमीन पर शयन न करें।
10-छोटी छोटी कन्याओं को भगवती रूप में मानकर प्रतिदिन श्रद्धा भाव से भोजन करायें।
इस प्रकार नवरात्रि के शुभ अवसर पर उपवास रखने से शरीर को भी आराम मिल जाता है। अच्छी सोच व सकारात्मक विचारों का प्रकटीकरण हो जाता है। मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है।किसी भी स्थिति में निरीह पशु की बलि नही देनी चाहिए। कन्या पूजन करने से सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाती है। जीवन के प्रति नवीन उत्साह संचार पैदा होता है।सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
लेखक-अखिलेश चन्द्र चमोला
श्रीनगर गढ़वाल।