गब्बर सिंह भंडारी
देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। आज राजधानी देहरादून के निकट प्रेमनगर में स्मिथ नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में आज श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी ने पंचम दिवस कि कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा प्रवाचक ने बताया कि मनुष्य के जीवन में अच्छे व बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए,अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है, अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। बुधवार को भागवत कथा में कथा सुनकर भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ जेल के ताले टूट गए। श्रीमद् भागवत कथा में आज भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान श्रद्धालु भक्तगण झूमने नाचने लगे। कथा व्यास बृजमोहन डिमरी ने कहा कि कलयुग में भगवान की कथा सुनने मात्र से हर प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा वाचक ने कहा कि भगवत कथा एक ऐसी कथा है जिसे ग्रहण करने मात्र से ही मन को शांति मिलती है,भागवत कथा सुनने से अहंकार का नाश होता है। भगवान श्रीकृष्ण के वेश में शिवांस नन्हे बालक के दर्शन करने के लिए भक्त श्रद्धालु लालायित नजर आए। कथा वाचक बृजमोहन डिमरी ने कहा कि जब धरती पर चारों ओर तन्हाई तराई मच गई, चारों ओर अत्याचार अनाचार कि अराजकता फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में जन्म लेकर कंस कहा संहार किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन किया। वासुदेव के वेष में हरिकृष्ण के अभिनय को देखकर श्रद्धालु भक्त गण भाव विभोर हो उठे। चतुर्भुजी नारायण के रूप में भगवान प्रकट होकर बोले की है वसुदेव पूर्व काल में आपने बहुत तप किया था सो आपको बेटा बनने का वचन दिया आप दोनों पहले अदिति कश्यप बने में वामन बना अब मैं आपका बेटा बनकर प्रकट होने वाला हूं। सारी बातें समझाकर व भूव प्राकृत शिशु बालक बन गए। आयोजकों ने अपने पितरों की तृप्ति हेतु श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ करने वाले मुख्य यजमान प्रताप सिंह बिष्ट,राधा बिष्ट,खड़क सिंह बिष्ट, भागीरथी देवी द्वारा सभी कथा प्रेमियों को मक्खन-मिश्री प्रसाद वितरण करवाया।
श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य आचार्य पंडित शशि मोहन थपलियाल,यजमान के कुल पुरोहित रमेश चंद्र मिश्र,पंडित चंद्र मोहन थपलियाल,पंडित हरीश ममगाई,पंडित आनंद पालीवाल,पंडित भास्कर गैरोला, अनिल काला,दिनेश नौटियाल, रितेश चमोली,आदि यजमानों में हरिकृष्ण बिष्ट,सुनैना देवी,उदय सिंह बिष्ट,महेंद्र सिंह रावत,पुष्पा देवी,विश्वंभरी देवी,धीरज बुटोला, नंदन सिंह बिष्ट,कुन्दन सिंह मेहरा,राजकमल बिष्ट,पूजा बिष्ट, कर्ण सिंह बिष्ट,अशोक रावत, दीपिका रावत,अंजू पंवार,कमल रावत,पुष्कर सिंह रौथाण,अनीता देवी रौथाण,विजय सिंह भंडारी,खेम सिंह,नमिता रावत, नीलम रावत,राहुल सिंह बिष्ट, आदि लोगों ने कथा श्रवण किया।