गब्बर सिंह भंडारी
* देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल। प्रेमनगर के स्मिथ नगर/राघव बिहार देहरादून में व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी ने आज द्वितीय दिवस की कथा के प्रसंग में कहा है कि श्रीमद् भागवत वेद रूपी कल्पवृक्ष का यह परिपक्व रशिक फल है, जिसने एक बार भी तन्मयता से इस कथा का स्वाद चख लिया है उसका जीवन सद्गुण रुपी फल की खान बनकर सामाजिक कल्याणकारी प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।
कथा वक्ता डिमरी ने कहा कि अश्वत्थामा द्वारा पांचो पांडवों के पुत्रों की निर्मम हत्या पर विलाप करती हुई द्रौपदी ने अर्जुन द्वारा रस्सी में बंदे अश्वत्थामा को जब देखा भारतीय ज्ञानमयी नारी ने अपने असहनीय दुख को दर किनार करते हुए अश्वत्थामा को मुक्त कराया।
उन्होंने आगे कहा कि समाज को यह प्रेरणा मिलती है कि दूसरे का दुख अपने दुख के समान समझो, कुंती मां ने भगवान श्री कृष्ण से दुख मांगा,जब की सभी लोग भगवान से सुख मांगते हैं। कुंती कहती है कि हे भगवान दुख में ही आप हमारी सर्वम रक्षा करते हैं।
व्यास पीठ पर विराजमान बृजमोहन डिमरी ने आगे के कथन में कहा कि महाभारत युद्ध में पांडव पक्ष से युधिष्ठिर और कौरव पक्ष से विदुर धर्म के अवतार थे,अंतर इतना हुआ कि पांडवों ने धर्म युधिष्ठिर की बात मानी और कौरवों ने धर्म विदुर की बात पर मनमानी की इसलिए कौरवों का पतन हुआ।
इस भागवत रूपी ज्ञान यज्ञ में भक्तों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया एवं भगवान रूपी व्यास का आशीर्वाद ग्रहण किया।
श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में मुख्य आचार्य पंडित शशि मोहन थपलियाल,कुल पुरोहित रमेश चंद्र मिश्र,चंद्र मोहन थपलियाल,हरीश मंमगाई, आनंद पालीवाल,भास्कर गैरोला, अनिल काला,दिनेश नौटियाल, रितेश चमोली,कथा आयोजन मुख्य यजमान प्रताप सिंह बिष्ट, राधा देवी,खड़क सिंह बिष्ट, भागीरथी देवी,महेंद्र सिंह रावत पुष्पा देवी, हरिकृष्ण बिष्ट,सुनैना देवी,उदय सिंह बिष्ट,पार्वती देवी, विश्वंभरी देवी,धीरज बुटोला,नंदन सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह मेहरा,गबर सिंह भण्डारी,पुष्कर सिंह रौथाण, अनीता देवी,विजय सिंह भण्डारी,खेम सिंह नेगी, राजकमल सिंह बिष्ट,पूजा बिष्ट,कर्ण सिंह बिष्ट,नमिता रावत,नीलम रावत,राहुल सिंह बिष्ट आदि लोग कथा में उपस्थित रहे।