* प्रदीप कुमार
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। पीवीबी सुब्रह्मण्यम, नाम जितना कठिन लग रहा है, स्वभाव उतना ही सरल। काम में कोताही नहीं। दिन-रात की सीमा न के बराबर। छात्रों के साथ गंगा तट पर कचरा उठाते भी दीख जाएंगे तो दीवार पर पोस्टर चिपकाते हुए भी।
यह केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम के महान परिचय का छोटा-सा अंश है। प्रो.सुब्रह्मण्यम को इस परिसर का कार्यभार संभाले एक साल हो गया है। पांचवें निदेशक के रूप में उनकी एक साल की उपलब्धियां कम समय के हिसाब से बहुत अधिक हैं। एक वर्ष में यहां न केवल छात्रों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई है,अपितु सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। परिसर की स्थापना काल में यहां छात्रों की संख्या लगभग 35 थी वहीं, इस वर्ष यह संख्या 400 के आंकड़े को पार कर चुकी है। इनमें 16 राज्यों के विद्यार्थी शामिल हैं। परिसर में छात्रों के आपसी व्यवहार में संस्कृत को प्राथमिकता मिली है।
इस बार आचार्य में अध्यनरत छह छात्रों में से एक ने जेआरएफ तथा पांच ने नेट क्वालीफाई किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि परिसर में शैक्षिक वातावरण उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। गत वर्ष यहां अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का सफल आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के सभी परिसरों समेत स्वामी रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के छात्रों और अध्यापकों ने विभाग लिया था। हाल ही में परिसर के उद्घाटन का सफल कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिसर का वर्चुअल उद्घाटन किया है। पांचवें निदेशक प्रो. सुब्रह्मण्यम के कार्यकाल में ही यहां योग विभाग और धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज वेद शास्त्र अनुसंधान केंद्र भी खोले गए। गत वर्ष तक छात्र-छात्राएं यहां दो ही छात्रावास में छात्र रहते थे परंतु उसके बाद यहां अन्य चार भवनों में भी छात्रावास चालू किये गये। परिसर में पक्की सड़कें बनी हैं। गई परिसर के कर्मचारी जहां आवास व्यवस्था के लिए जूझते थे,वहीं अब लगभग सभी कर्मचारियों को सरकारी आवास मिल चुके हैं।
प्रो.सुब्रह्मण्यम इससे पहले केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ, हिमाचल और भोपाल परिसरों में कार्य कर चुके हैं। उन्हें छात्र वत्सल अध्यापक के रूप में बड़ी ख्याति मिली हुई है। बहुत ही सहृदय और सरल जीवन शैली वाले प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम ने छात्रों को छात्र केंद्रित बना दिया है। वे कार्यक्रमों के आयोजन का दारोमदार छात्रों पर ही छोड़ देते हैं। उनका मानना है कि ऐसे में छात्रों को सीखने का मौका मिलता है।
उनका सपना परिसर को हरा-भरा बनाना है। इसके लिए वे विभिन्न प्रजातियों के पौधे यहां लगवाने की तैयारी में हैं। उनका यह भी कहना है कि परिसर में नौकरियों में योग्यतानुसार स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।
छात्रों की उन्नति और प्रगति के लिए हर समय तत्पर रहने वाले प्रो.सुब्रह्मण्यम कार्यालय समय के बाद घर पर भी समस्याएं सुनते हैं। छात्रों के बीच घुल-मिलकर रहना उनकी आदत में शुमार है। देवप्रयाग जैसी सुविधाविहीन जगह और नये परिसर के लिए ऐसे ही निदेशक की आवश्यकता थी।
एक साल की उपलब्धियां
1.छात्रों की संख्या में आशातीत वृद्धि।
2.धर्मसम्राट करपात्री महाराज वेदशास्त्रानुसंधान केंद्र का उद्घाटन।
3.योग में बीएससी और एमएससी कक्षाओं का संचालन।
4.चार नए छात्रावास भवन चालू करवाना।
5.विशाल अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन। 6.परिसर का नैक मूल्यांकन करवाना।
7.आवास समस्या से जूझते कर्मचारियों और अध्यापकों को आवासीय सुविध। 8.परिसर का उद्घाटन करवाना।
9.अतिथि गृह,नये प्राशासनिक भवन और विशाल भोजनालय को चालू करवाना।
10.रामकुंड घाट पर प्रत्येक शुक्रवार को गंगा आरती का आयोजन।
11.ज्योतिष प्रयोगशाला में सात लाख की लागत के अत्याधुनिक टेलिस्कोप की स्थापना।
12.छात्रों के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्शक,शिकायत निवारण प्रकोष्ठ।