देहरादून के दो युवाओं ने साईकिल से 215 किमी की दूरी तय करके क्रौंच पर्वत पर विराजमान कार्तिक स्वामी की तपोस्थली पहुंचे

प्रदीप कुमार

ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। देहरादून निवासी सोहन सिंह रावत व हरीश कण्डवाल मात्र दो दिनों में 215 किमी की दूरी साइकिल से तय करने के बाद क्रौंच पर्वत पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली पहुंचने पर क्षेत्रीय जनता, व्यापारियों व मन्दिर के पुजारी ने उनका भव्य स्वागत किया। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि इससे पूर्व दोनों युवा वर्ष 2021 में देहरादून से गंगोत्री दयारा बुग्याल का सफर भी साइकिल से तय कर चुके हैं। साइकिल से सफर करने का दोनों युवाओं का मुख्य मकसद पूर्वजों के पैदल मार्गो को विकसित करने का सन्देश देना, आम जनमानस को आध्यात्मिकता के प्रति जागरूक करना तथा प्रकृति के अनमोल नजारों से अति निकट से रूबरू होना है। वर्तमान समय में सुमन नगर धर्मपुर देहरादून के रहने वाले सोहन सिंह रावत वर्तमान में केन्द्रीय सुरक्षा बल में सहायक कमान्डेंट के पद आसाम मे तैनात है जबकि केदार पुरम देहरादून के रहने वाले हरीश कण्डवाल वर्तमान समय में देहरादून में बी पी एल मेडिकल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर जनसेवा कर रहे हैं। दोनों युवाओं ने 215 किमी की दूरी तय करने के बाद कार्तिक स्वामी तीर्थ पहुंचने के बाद बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ आध्यात्मिक के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ से चौखम्बा हिमालय सहित प्रकृति का जो नयनाभिराम दृष्टिगोचर हो रहा है वह मानस पहल पर सदैव स्मरणीय रहेगा। सोहन सिंह रावत व हरीश कण्डवाल ने बताया कि इससे पूर्व वे वर्ष 2021 में देहरादून से उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल की दूरी भी साइकिल से तय कर चुके हैं जबकि सोहन सिंह रावत वर्ष 2019 में उत्तराखण्ड के चारों धामों व पंच केदारों की यात्रा भी साइकिल से कर चुके हैं। उनके अनुसार पंच केदारो में कठिन यात्रा चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की है! सोहन सिंह रावत चार धामों के साथ पंच केदारो की यात्रा भी साइकिल से कर चुके हैं! दोनों युवाओं की इतनी लम्बी यात्रा साइकिल से करने का मुख्य मकसद पुराने पैदल मार्गो से आवाजाही के लिए लोगों को जागृत करना,आम जनमानस को आध्यात्मिकता के लिए जागरूक करना तथा प्रकृति के अनमोल खजानों से अति निकट से रूबरू होना है। दोनों युवाओं का कहना है कि उत्तराखण्ड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर हिमालय के भूभाग को प्रकृति ने पग – पग पर अपने वैभवो का भरपूर दुलार दिया है इसलिए प्रकृति के आंचल में घड़ी भर बैठने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है। दोनों युवाओं का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड के चारों धामों के प्राचीन पैदल मार्गो को विकसित करने के प्रयास करती है तो प्राचीन पैदल मार्गो का चहुंमुखी विकास होने के साथ स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने से हर गांव में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है जिससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होगें तथा गांवों से होने वाले पलायन पर रोक लगेगी।