केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में एक साल में ढाई गुणा बढ़े छात्र

 

प्रदीप कुमार

देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवप्रयाग के रघुनाथ कीर्तिमानों रहता है ’लघु भारत’
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में सात साल में ग्यारह गुणा हुई छात्रसंख्या में वृद्धि
देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में छात्रों की संख्या निरंतर छलांग मार रही है। पिछले साल के मुकाबले इस संख्या में ढाई गुणा वृद्धि हुयी है, जबकि स्थपना वर्ष 2016 की तुलना में ग्यारह गुणा से भी अधिक वृद्धि हुयी है। परिसर में मिल रही बेहतर सुविधाओं, परिसर के बेहतरीन शिक्षण वातावरण तथा संस्कृत के क्षेत्र में रोजगार मिलने के कारण विद्यार्थियों का इस ओर झुकाव हो रहा है। वर्तमान में यहां भारत के लगभग आधे राज्यों के छात्र अध्ययनरत हैं।
श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की स्थापना वर्ष, 2016 में हुयी थी। आरंभिक वर्ष में यहां मात्र तीन कक्षाओं में कुल 35 ही प्रवेश हो पाये थे। तब परिसर में छात्रों की इतनी कम संख्या विश्वविद्यालय के लिए चुनौती और चिंता दोनों बन गयी थी। साल-दर-साल छात्र संख्या तो बढ़ने लगी, लेकिन विश्वविद्यालय इससे संतुष्ट नहीं रहा। ‌ ‌ गत वर्ष यानी 2022 में यहां निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका था। लगभग सभी सुविधाएं भी मुहैया हो गयीं, परंतु छात्रसंख्या अपेक्षाकृत अधिक नहीं हो पायी। इस वर्ष छात्रसंख्या में आशातीत वृद्ध होने से विश्वविद्यालय प्रशासन की बांछें खिल गयी हैं। इस वर्ष यानी सत्र 2023-24 के लिए यहां 408 प्रवेश हुए हैं। ये छात्र प्राक्शास्त्री (ग्यारहवीं) से लेकर आचार्य (एमए) तथा पौरोहित्य कर्मकांड डिप्लोमा से लेकर बीएससी-एसएससी योग विज्ञान का अध्ययन कर रहे हैं। 16 प्रदेशों के ये विद्यार्थी उत्तराखंड, हिमाचल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, केरल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, बिहार से हैं। इनमें 290 छात्र-छात्राएं हॉस्टल सुविधाएं ले रहे हैं। छात्रावास के छह भवन हैं। छात्राओं की संख्या 37 है। अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा जनजाति के 54 विद्यार्थी हैं। दो विद्यार्थी दिव्यांग हैं। पिछले साल यहां छात्र संख्या 152 थी, जबकि छात्रावास में 114 रहते थे।
परिसर में छात्रों की संख्या बढ़ने के अनेक कारण बताये जा रहे हैं। परिसर प्रशासन का मानना है कि यहां पढाई का बेहतरीन वातावरण होने, छात्रोनुकूल सुविधाएं तथा संस्कृत में रोजगार के अवसर बढ़ने के कारण यह संख्या बढ़ रही है। निदेशक प्रो.पी.वी.बी.सुब्रह्मण्यम के अनुसार यह परिसर उत्तराखंड ही नहीं, उत्तर भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्कृत शिक्षा केंद्र के रूप में उभरा है। यहां छात्रावास, पुस्तकालय, अध्ययन-अध्यापन इत्यादि की उच्च कोटि की सुविधाएं हैं, प्रतिमाह दो-ढाई हजार रुपये खर्च में भी विद्यार्थी पढ़ाई कर लेता है। स्कॉलरशिप अलग से मिलती है। परीक्षा शुल्क के अलावा कोई फीस नहीं है। संस्कृत अध्ययन के किसी भी क्षेत्र में जाने को विद्यार्थी स्वतंत्र ही नहीं, उसे इसके लिए सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है। हर समय परिसर में ही निःशुल्क ट्यूशन की सुविधा है। संस्कृत के क्षेत्र में पहले की अपेक्षा रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। पारंपरिक ज्ञान के अध्ययन के बाद वृत्ति पाना सोने पे सुहागा है। यही कारण है कि इस परिसर के प्रति छात्रों में रुझान बढ़ रहा है। अगले वर्ष यह संख्या और बढ़ सकती है। हमारे पास तब इतने अधिक छात्रों को छात्रावास देने की चुनौती बन सकती है।
प्रो.पी.वी.बी.सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि हमारे यहां विभिन्न विषयों के निष्णात प्राध्यापक हैं, वे भी विभिन्न प्रदेशों से हैं। परिसर में ही अधिकांश प्राध्यापक रहते हैं। अतः प्रातः 6 से रात 10 बजे तक भी विद्यार्थी अध्यापकों से मार्गदर्शन लेते रहते हैं। योग विज्ञान में स्नातक और स्नातक तथा पौरोहित्य कर्मकांड में डिप्लोमा की सुविधा होने से इस परिसर का महत्त्व और बढ़ गया है। भविष्य में ऐसे अनेक रोजगारपरक कोर्स यहां खुल सकते हैं।