केदार घाटी में फिर से मौसम के करवट लेने से तापमान में भारी गिरावट

प्रदीप कुमार

ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। केदार घाटी में एक बार फिर मौसम के करवट लेने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है। मौसम के करवट लेने से हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश की सम्भावना बनी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि आने वाले दिनों में यदि मौसम के मिजाज इसी प्रकार रहा तो हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश के आसार बन सकते हैं। तुंगनाथ घाटी व कार्तिक स्वामी तीर्थ में यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी होती है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में खासा इजाफा हो सकता है। केदार घाटी में मौसम के करवट लेने से जनजीवन खासा प्रभावित हो गया है तथा हिमालयी क्षेत्रों में बादल छाने तथा निचले क्षेत्रों में सर्द हवाओं के चलने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है। आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो वासुकी ताल, केदारनाथ, मनणामाई तीर्थ, मदमहेश्वर, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड, विसुणीताल, चन्द्र शिला, तुंगनाथ, चोपता, दुगलविट्टा, देवरियाल ताल, कार्तिक स्वामी, मोहनखाल, चौमासी, त्रियुगीनारायण, गौरीकुण्ड, चिलौण्ड, गौण्डार, रासी, गडगू का भूभाग बर्फबारी से आच्छादित हो सकता है! हिमालयी क्षेत्रों में यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी होती है तो प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में वृद्धि हो सकती है। केदार घाटी के निचले इलाकों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश होती है तो काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों, मटर इत्यादि की फसलों को पर्याप्त मात्रा में नमी मिलन से उत्पाद क्षमता में वृद्धि की सम्भावना बनी हुई है। काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि मौसम के अनुकूल फसलों को बारिश की नितान्त आवश्यकता है तथा यदि मौसम के करवट लेने के बाद बारिश होती है तो प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने के काश्तकारों की रवि की फसलों के लिए बारिश वरदान साबित हो सकती है। मदमहेश्वर घाटी विकास मच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि मदमहेश्वर घाटी में मौसम के करवट लेने से तापमान में गिरावट महसूस होने लगी है तथा हिमालयी क्षेत्रों में बादल छाने से बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि निचले क्षेत्रों में एक सप्ताह पूर्व हल्की बारिश तो हुई थी मगर काश्तकारों की फसलों को मौसम के अनुकूल नमी न मिलने के कारण फसलों का उत्पादन धीरे – धीरे प्रभावित होने लगा है। प्रधान पाली सरूणा प्रेमलता पन्त ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से प्रकृति पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है क्षेत्र में मौसम के करवट लेने से बर्फबारी व बारिश के आसार तो बन रहे हैं तथा मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश होती है तो प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।