नवनियुक्त उपाध्यक्ष राज्य स्तरीय जलागम परिषद रमेश गढ़िया ने आज उत्तराखंड जलागम निदेशालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण किया

 

देहरादून -उत्तराखंड सरकार में नवनियुक्त उपाध्यक्ष उत्तराखंड राज्य स्तरीय जलागम परिषद रमेश गढ़िया ने आज उत्तराखंड जलागम निदेशालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण किया l कार्यभार ग्रहण करने के बाद (विभाग की परियोजना निदेशक जलागम प्रबंधन नीना ग्रेवाल एवं विभागीय अधिकारियों के साथ परिचय बैठक कर विभागीय बैठक की,
उपाध्यक्ष रमेश गढ़िया ने  विभागीय अधिकारियों से निर्देशित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के “साफ नियत- सही विकास” एवं देवभूमि उत्तराखंड के  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य विकास के नए-नए आयाम छू रहा है और हम सब इसके साक्षी बने हैं l इसी धारणा के साथ हमें ग्राम विकास की ओर पूर्ण मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता है l


प्रोजेक्ट कार्य में धरातल पर प्रमाणिकता के साथ कार्य करते हुए हमें एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर और राज्य की उन्नति के लिए आगे बढ़ने के लिए सफल प्रयास करने की आवश्यकता है l
उत्तराखंड उपाध्यक्ष, राज्य स्तरीय जलागम परिषद,रमेश गड़िया ने कहा कि ,”जलागम- जन-जन के द्वार”
इसी ध्येय वाक्य के साथ स्थानीय उत्पादों एवं स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप सामाजिक उत्थान हेतु प्रोजेक्ट निर्माण और उसे कार्य रूप में परिणित करने के लिए हर स्तर पर सामाजिक विकास के आयामों को स्थापित करने में प्रत्येक स्तर पर भूमिका का निर्वहन करना आवश्यक है, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  के जनहित में “सरलीकरण समाधान निस्तारीकरण और संतुष्टि ” के मंत्र के साथ आगामी वर्षों में उत्तराखंड, देश का विकसित राज्य बने इस और सामाजिक विकास के प्रत्येक स्तर पर कार्य करते हुए आगे बढ़ना है l
उन्होंने अधिकारियों को कहा कि वर्तमान में विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं और परियोजनाओं को जमीनी स्तर पर सही संचालित होने की दिशा में लगातार परियोजना अंतर्गत क्षेत्र का समय-समय पर विभाग द्वारा मूल्यांकन भी होता रहे,
श्री गढ़िया ने स्वयं भी परियोजना अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र का दौरा एवं धरातलीय अवलोकन हेतु अधिकारियों को कहा है l
उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी परियोजना अंतर्गत प्रत्येक गांव का भी दौरा करेंगे l और ग्राम विकास में 100% ग्रामीणों को लाभ मिल सके,इसी उद्देश्य के साथ “आत्मनिर्भर भारत” की ओर बढ़ते हुए मजबूती के साथ कार्य संचालित एवं संपादित हों.