ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता वेबिनार का किया आयोजनः डॉ. सुजाता संजय

* ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता वेबिनार का किया आयोजनः डॉ. सुजाता संजय

* ब्रेस्ट कैंसर से डरें नही लड़े!: डॉ. सुजाता संजय

* ब्रेस्ट कैंसर से हर साल जाती है 30 हजार महिलाओं की जान: डॉ. सुजाता संजय

देहरादून! ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल इसका मुख्य कारण है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्तूबर माह को पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस माह के रूप में मनाया जाता है। इसी उपलक्ष में संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर, देहरादून की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय द्वारा ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने हेतु एक बेवीनार का आयोजन किया जिसमें 55 से भी अधिक मेडिकल छात्राओं एवं महिलाओं ने प्रतिभाग किया।
डॉ. सुजाता संजय ने वेबिनार के दौरान बताया कि, स्तन में गांठ, सुजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। ब्रेस्ट कैंसर की 4 स्टेज होती है। अगर कैंसर पहली स्टेज यानी शुरुआती अवस्था में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 फीसदी तक होती है। दूसरी स्टेज में 60 से 70 फीसदी तक ठीक होने की सम्भावना रहती है। कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज में इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है। इसके कुछ लक्षणों को अगर समय पर पहचान लिया जाए तो इलाज आसान हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर का नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज के जीने की उम्मीद छोड़ देते है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ये धारणा सही नहीं है। भारत में हर साल ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इजाफा हो रहा है।
डॉ. सुजाता संजय ने बेवीनार के दौरान बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग-अलग लक्षण पाए जाते है। स्तन कैंसर को समझना आसान है, स्त्रियां खुद भी स्तन की जांच कर सकती है। स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव, स्तन का सख्त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे भी गांठ होना स्तन कैंसर के संकेत होते है। हालांकि स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है, ताकि कहीं वो आगे चलकर कैंसर का रूप ना पकड़ ले।
डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि शराब, ध्रुमपान, तंबाकू के साथ साथ बढ़ता वजन खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बॉडी में ज्यादा हार्मोन्स फैट टिशु से निकलते हैं, ज्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने वजन को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चिित करें और कम से कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सककता है, लेकिन ऐसा सिर्फ 5-10 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया जाता हैं। बदलते दौर में अपने लाइफस्टाइल को जरूरत से ज्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। इनकी सलाह है कि ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन फास्ट फूड जैसे बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, चाट, रेड मीट एवं गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।
डॉ. सुजाता ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जानकारी का अभाव भी इसके फैलने में अहम रोल निभा रहा है। उन्होंने बताया कि बॉयोप्सी टेस्ट से जानकारी मिल जाती है कि स्तन कैंसर है या नहीं। अगर स्तन में गांठ है तो उसका आकार कितना बड़ा है और यह किस तरह का स्तन कैंसर है यह जानने के बाद इलाज की प्रक्रिया आसान हो जाती है। 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी जरूर करवाएं।
डॉ. सुजाता ने बताया कि स्तन कैंसर की 4 अवस्था होती है, स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 प्रतिशत से ज्यादा होती है दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60-70 प्रतिशत तक महिलाएं ठीक हो जाती है, वहीं तीसरे या चौथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है जो महिलाएं एक्सरसाइज करने से बचती हैं। उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। मेनोपॉज के बाद तो महिलाओं के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी होता है। अगर आपको हेवी एक्सरसाइज पसंद न हो तो रोज आधे घंटे की सैर कर सकती हैं। आप चाहें तो बागवानी या तैराकी जैसे विकल्प चुनकर भी अपनी फिटनेस को मेंटेन कर सकती हैं। इससे पेट और कमर की चर्बी कम करने में भी मदद मिलती है। हाल ही ब्रेस्ट कैंसर पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई की विटामिन डी की कमी के साथ ही अगर मोटापा भी है तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। शोध में यह बात सामाने आई कम बीएमआई के साथ शरीर में मौजूद विटामिन डी का अच्छा स्तर स्तन कैंसर से बचाव का काम करता है।