नैनीताल- गत दिनों कृषक समूहों के बीच जैविक खेती के बारे में परिचर्चा करने का अवसर मिला. 16 जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में फलदार पौध भेंट कार्यक्रम तो चल ही रहा था इसी बीच नैनीताल जिले के तीन स्थानों पर organic farming के क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर कार्य कर रहे अनिल पांडे, प्रताप रैकवाल व बलवंत सिंह मेहरा के सहयोग से ग्रामीणों के साथ जैविक खेती के बारे में संवाद का मौका मिला.
उपरोक्त सहयोगियों द्वारा हल्द्वानी के पास फत्ताबंगर/ भगवनतपुर/ सुंदरपुर में किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से बैठकों का आयोजन किया गया था जहाँ पौधे भेंट करने के साथ-साथ केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा जैविक कृषि को बढावा देने के लिए दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया गया और रसायन मुक्त खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी.
मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी घातक बीमारियों के बढ़ने का एक बड़ा कारण य़ह भी है कि अनाज और अन्य कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए खेतों में रसायनिक खाद और कीटनाशकों का अन्धाधुन्ध मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है. यदि compost खाद, केंचुए वाली खाद और नीम, बकायन, गोमूत्र आदि से बने कीट नाशक प्रयोग किए जाएं तो रसायनों के दुष्प्रभावों से समाज को बचाया जा सकता है. य़ह भी एक भ्रांति है कि बिना रसायनों का प्रयोग किए उत्पादन कम होगा. ठीक से जैविक खेती की जाय तो कम लागत में अच्छा उत्पादन होता है.
केंद्र सरकार जैविक खेती ( organic farming ) को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आर्थिक सहयोग दे रही है इन योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. केंचुए से वर्मी खाद बनाने, कीटनाशक बनाने , पॉली हाउस बनाने आदि के लिए लागत का 80 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है. उत्पादों की बिक्री में भी सरकार सहयोग कर रही है. किसानों को अपने क्षेत्र में क्लस्टर बनाकर जैविक खेती से जुड़ना चाहिए. इससे गंभीर बीमारियों पर खर्च होने वाला देश का पैसा बचेगा जो विकास के काम आ सकता है.
डॉ आशुतोष पन्त
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी/पर्यावरण कार्यकर्ता, हल्द्वानी.