प्रशिक्षण और कौशल में लगातार प्रगति दो मुख्य पहलू हैं जिन्हें प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी लगातार दोहराते रहे हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि तीन ‘एस’ – कौशल, गति और स्केल, स्टार्टअप के साथ-साथ किसी अन्य व्यवसाय में कार्यरत लोगों के लिए भी क्षमता निर्माण की कुंजी हैं


“केंद्रीय भंडार अपने सभी कर्मचारियों को भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करने वाला भारत का पहला संगठन है”

केंद्रीय मंत्री ने भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर द्वारा केंद्रीय भंडार के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया

केन्द्रीय भंडार ने वर्ष 2017-18 में 750 करोड़ रुपये से वर्ष 2021-22 में पांच गुना वृद्धि के साथ 4,043 करोड़ रुपये की आय का सर्वकालिक कीर्तिमान स्थापित किया

नई दिल्ली (पीआईबी) केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज केंद्रीय भंडार (केबी) के कर्मचारियों के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) रायपुर संकाय द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि तीन ‘एस’ – कौशल, गति और स्केल स्टार्टअप के साथ-साथ किसी अन्य व्यवसाय में लगे लोगों के लिए क्षमता निर्माण की कुंजी हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता के साथ लागत-प्रभावशीलता प्रतिस्पर्धा के बीच स्थिरता को निर्धारित करती है।”

 

 

केन्द्रीय भंडार अपने कर्मचारियों के लिए संस्थागत प्रशिक्षण प्रदान करने वाला भारत का पहला संगठन है।

मंत्री महोदय ने कहा कि प्रशिक्षण और कौशल का निरंतर उन्नयन दो मुख्य पहलू हैं जिन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लगातार दोहराते रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 और जी-20 शिखर सम्मेलन जैसी सफलता की कहानियों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि ये सफलताएं इसलिए संभव हो पाई हैं क्योंकि मई 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के साथ ही उन्होंने एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत की है, जहां उत्कृष्टता को आगे बढ़ाया और प्रोत्साहन दिया जाता है।

 

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मार्च 2015 में स्टेशनरी ओएम को वापस लेने के बाद केबी सोसाइटी निराशाजनक प्रदर्शन कर रही थी और बिक्री कारोबार में सालाना 100 से 150 करोड़ रुपये की गिरावट शुरू हो गई और मार्च 2018 तक लाभ में भी तेजी से गिरावट आई और इस प्रकार से सोसाइटी को अधिकतम घाटा हुआ।

 

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह लागत में कटौती के उपाय और प्रबंध निदेशक डॉ. मुकेश कुमार और निदेशक मंडल और केंद्रीय भंडार के सभी कर्मचारियों के प्रयासों के कारण, खासकर कोविड महामारी के मद्देनजर  कई सुधार हुए और इस प्रकार एक बडा बदलाव आया है। परिणामस्वरूप, लाभ 30 प्रतिशत से अधिक हो गया है।

 

 

अपने संबोधन में डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि सोसायटी ने कर्मचारियों को उद्योग के बराबर उचित वेतन देकर उनके मनोबल और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जबकि उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की तेज गति से रिकॉर्ड संख्या में पदोन्नति की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सम्मान की गारंटी देने वाले पदों का पुन: पदनाम, कार्यस्थल पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार और कर्मचारियों के व्यक्तित्व विकास के लिए सहकारी संस्थानों, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और अन्य गतिविधियों के माध्यम से समय-समय पर प्रशिक्षण जैसे उपाय भी शामिल हैं।

केन्द्रीय भंडार ने वर्ष 2017-18 में 750 करोड़ रुपये से वर्ष 2021-22 में 4,043 करोड़ रुपये की पांच गुना वृद्धि हासिल करके एक सर्वकालिक कीर्तिमान स्थापित किया, जो किसी भी सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में अभूतपूर्व है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सोसायटी ने अपने अस्तित्व में आने के बाद से 55 वर्षों में 98.59 करोड़ रुपये सावधि जमा योजना में जमा कराए हैं और पिछले पांच वर्षों में 41.28 करोड़ रुपये (कुल 139.87 करोड़ रुपये का 29.51 प्रतिशत) जोड़े गए हैं।

सोसायटी देश में सबसे कम दरों पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराकर आम आदमी की सेवा करती है। सोसायटी ने हाल के दिनों में, बाजार मूल्य 70/- रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 15/- रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेचा; फरवरी-मार्च 2023 में भारत आटा 40/- से 45/- रुपये प्रति किलोग्राम के बाजार मूल्य के मुकाबले 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम; अगस्त, 2023 के महीने में टमाटर 200/- रुपये प्रति किलोग्राम के बाजार मूल्य के मुकाबले 70/- रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचे गए; भारत दाल (चना दाल) को बाजार मूल्य 110/- रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 58/- रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया। इसके अलावा, कोरोना/संकट के दौरान केंद्रीय भंडार की भूमिका सराहनीय रही है क्योंकि इसने देश में सबसे तेज सेवाएं और सबसे कम दर पर गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं उपलब्ध कराईं हैं।

केन्द्रीय भंडार की स्थापना वर्ष 1963 में एक कल्याण परियोजना के रूप में की गई थी। इसे सरकार और सरकारी कर्मचारियों की शेयरधारिता के साथ एमएससीएस अधिनियम 2002 के अंतर्गत एक बहु-राज्य सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसके 93,000 से अधिक सदस्य हैं जिनमें से 10,000 से अधिक सदस्य अब भी सरकार में कार्यरत हैं। सोसायटी का प्रबंधन एक निदेशक मंडल (14 निदेशक) द्वारा किया जाता है। बोर्ड में 09 निर्वाचित निदेशक, 03 नामांकित, 01 प्रबंध निदेशक और 01 सहयोजित निदेशक हैं। सोसायटी की पूरे देश में 149 दुकानें और प्रतिष्ठान/कार्यालय हैं, इसके अलावा 05 केमिस्ट दुकानें/जन औषधि दुकानें भी हैं।