बाहरी स्रोतों को दिए जाने वाले काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिलना चाहिए और उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए: पीएम  मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना का शुभारंभ किया


भारत के कारीगर और शिल्पकार देश को सुंदर बनाने के लिए अपने हाथों का उपयोग करते हैं, साथ ही अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं और आत्मनिर्भर भारत में योगदान देते हैं:  अर्जुन मुंडा

योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों के माध्यम से पारंपरिक कौशल से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देना और मजबूत करना है:  रेणुका सिंह सरुता

यह योजना छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देगी और स्थानीय कारीगरों को और अधिक कुशल बनाएगी:  बिशेश्वर टुडू

 नई दिल्ली(पीआईबी) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना‘ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा लोगोटैगलाइन और पोर्टल भी लॉन्च किया। इस अवसर पर उन्होंने एक विशिष्ट स्टाम्प शीटएक टूल किट ईबुकलेट और वीडियो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने 18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र वितरित किये। लाभार्थी जागरूकता बढ़ाने की संपूर्ण सरकारी रणनीति के हिस्से के रूप मेंयह कार्यक्रम देश भर में लगभग 70 स्थानों पर आयोजित किया गया।

प्रधानमंत्री ने देश के दैनिक जीवन में विश्वकर्मा मित्रों के योगदान और महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि चाहे प्रौद्योगिकी में कितनी भी प्रगति क्यों न हो जाएविश्वकर्मा समाज में हमेशा महत्वपूर्ण बने रहेंगे। यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा मित्रों को मान्यता दी जाये और उनका समर्थन किया जाये। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में बड़ी कंपनियां अपना काम छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा“बाहरी स्रोत को दिया जाने वाला यह काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिले और वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनेंहम इसके लिए काम कर रहे हैं। इसलिए यह योजना विश्वकर्मा मित्रों को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है।

 

चूँकि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वरोज़गार से जुड़े कारीगर और शिल्पकार शामिल हैंजो लोहे की कारीगरीस्वर्ण की कारीगरीमिट्टी के बर्तनों का निर्माणबढ़ई कार्यमूर्तिकला आदि विभिन्न व्यवसायों में संलग्न हैंप्रधानमंत्री का निरंतर ध्यान पारंपरिक शिल्प से जुड़े लोगों के उत्थान पर है। ये कौशल गुरुशिष्य परंपरा के माध्यम से परिवारों और अनौपचारिक समूहों को विश्वकर्मा द्वारा अपने हाथों और औजारों से काम करने के जरिये दिये जाते हैं। योजना के उद्देश्य निम्न पर जोर देते हैं:

  1. पारंपरिक शिल्प की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रोत्साहनतथा,
  2. कारीगरों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने और उन्हें वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने में सहायता करना।

रांची से शुभारंभ कार्यक्रम में भाग लेते हुएकेंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत के कारीगर और शिल्पकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने के साथसाथ देश को सजाने और सुंदर बनाने के लिए अपने हाथों और औजारों का उपयोग करते हैं। इसलिएइन पारंपरिक शिल्पों में विशेषज्ञता रखने वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के लिएप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज आधिकारिक तौर पर पीएम विश्वकर्मा योजना‘ की शुरुआत की गयी है। श्री मुंडा ने कहाप्रधानमंत्री के अनुसारप्रत्येक कारीगर को अपने उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सक्षमसशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय के सदस्यों सहित कई लोग पीएम विश्वकर्मा योजना से लाभान्वित होंगे और अपने जीवन में सफल होने और प्रगति करने में सक्षम होंगे।

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता और श्री बिश्वेश्वर टुडू ने क्रमशः रायपुरछत्तीसगढ़ और सिलचरअसम से कार्यक्रम में भाग लिया। श्रीमती सरुता ने कहा कि योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों के माध्यम से पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करना है। श्री टुडू ने समाज के ऐसे वर्गों के लाभ हेतु योजना शुरू करने के लिए पूरे देश को बधाई दी जो अपने कौशल और कड़ी मेहनत के जरिये देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना से छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय कारीगर भी अधिक कुशल बनेंगे। दोनों मंत्रियों ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना राज्यों में प्रभावी ढंग से क्रियान्वित होगी और इसका पूरा लाभ विश्वकर्मा समाज को मिलेगा।

चिन्हित किये गए अठारह पारंपरिक व्यवसायों में कार्यरत भारतीय कारीगरों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई पीएम विश्वकर्मा योजना को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। योजना के तहतपात्र लाभार्थियों (विश्वकर्माको बायोमेट्रिकआधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से निःशुल्क पंजीकृत किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगीसाथ ही कौशल उन्नयन के लिए प्राथमिक और उन्नत प्रशिक्षण तथा टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में 15,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इसके अलावागिरवीमुक्त ऋण के रूप में 5% की रियायती ब्याज दर पर लाख रुपये (पहली क़िस्तऔर लाख रुपये (दूसरी क़िस्तकी धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्तडिजिटल लेनदेन और विपणन सहायता के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

सूक्ष्मलघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय पीएम विश्वकर्मा योजना का नोडल मंत्रालय है। योजना के तहत नियोजित विभिन्न कार्यान्वयन गतिविधियों में लाभार्थियों की पहचान और सत्यापनकौशल उन्नयन प्रशिक्षण के लिए उन्हें जुटानामूल्यश्रृंखला में आगे बढ़ने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें ऋण सहायताविपणन सहायता की सुविधा देनाआदि शामिल हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालयविश्वकर्मा मित्रों के कल्याण के लिए योजना के कार्यान्वयन के लिए सक्रिय सहायता प्रदान करेगा।