प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,उत्तराखंड में हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी पखवाड़ा 2023 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे निदेशक, प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय मुख्य अतिथि और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वास्तुशास्त्र विभाग के विभागध्यक्ष, प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में सर्वप्रथम प्रोफेसर अवस्थी ने जम्मू -कश्मीर के अनंतनाग जिले में शहीद हुए सेना और पुलिस के अधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सम्मान में 2 मिनट का मौन रखा। तत्पश्चात समारोह को सम्बोधित प्रोफेसर अवस्थी ने सभी को राजभाषा हिंदी दिवस की शुभकामनाये दी और कहा ” भाषा विचारों की अभिव्यक्ति, सामाजिक संपर्क का साधन एवं संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण और संवर्धन का संसाधन है। भाषा के कई रूप है जैसे कि मातृभाषा हमारी व्यक्तिगत और पारिवारिक पृष्ठभूमि का परिचायक है। राष्ट्रभाषा वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीयता का बोध कराती है। राजभाषा, जनता और सरकार की भाषा है जो मुख्य रूप से सरकारी काम काज में प्रयोग की जाती है और सम्पर्क भाषा जो देश-काल और आम जन के पारस्परिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाती है। भाषा के इन सभी प्रारूपों में हिंदी किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है।
उन्होंने कहा कि सबसे प्राचीनतम जनतंत्र में से एक होने के कारण भारत वर्ष राजभाषा आम जन की भाषा होनी चाहिए थी। परन्तु सामाजिक और भाषिक विरोधाभासो के कारण जनभाषा हिंदी को पूरे कालखंड में राजभाषा का गौरव नहीं मिल सका। अंततः भारत के इतिहास में पहली बार संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। और संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघीय सरकार को हिंदी का प्रचार प्रसार करने का दायित्व सौपा गया ताकि हिंदी भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक तत्वों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन सकें।
उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज भारत देश के साथ विश्व कई देशों में हिंदी किसी न किसी रूप में प्रयोग की जा रही है। विश्व के कई प्रतिष्ठित विश्व विद्यालयोंयों में इसका अध्ययन और अध्यापन किया जा रहा है। तकनीकी विकास के चलते आज कंप्यूटर और मोबाइल आदि पर भी हिंदी में कार्य करना काफी सुगम हो गया है। इंटरनेनेट जगत में हिंदी सामग्री की उपलब्धता, हिंदी ब्लॉग का तेजी से होता विकास, सभी इस बात के संकेत हैं कि हिंदी अब विश्व स्तर पर जनमानस की भाषा बनने की ओर अग्रसर है।
इस अवसर पर संस्थान में हिंदी भाषा में किये गए कार्यों की समीक्षा करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा “सभी भाषाओँ का सम्मान होना चाहिए परन्तु सरकारी कार्यों में हिंदी का प्रयोग करना हमारा दायित्व है। इस संवैधानिक दायित्व की पूर्ति हमारी निष्ठा और इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है। आज हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि जिस प्रकार हम स्वयं की उन्नति के लिए आवश्यक मापदंडों की पूर्ती के लिए प्रयास करते है, उसी प्रकार सरकारी काम काज में हिंदी के प्रयोग से सम्बंधित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा सामूहिक और सार्थक प्रयास अवश्य सफल होगा।
सम्बोधन के अंत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विचारो को रेखांकित करते हुए हिंदी की सहजता, सरलता और संवेदनशीलता का जिक्र किया और हिंदी को सशक्त और संमृद्ध बनाने में योगदान देने वाले लोगो के प्रति आभार प्रकट किया।
मुख्य अतिथि प्रो अन्नपूर्णा नौटियाल ने सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाये देते हुए कहा कि भाषा सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, सभ्यता, संस्कृति और परम्परा की संवाहिका होती है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी होती है। उन्होंने कहा कि हम सभी चाहते है कि हिंदी का विकास हो, परन्तु इसके लिए सार्थक प्रयास जरूरी है। उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए तकनीक के प्रयोग का भी सुझाव दिया।
प्रोफेसर नौटियाल ने कहा भाषा प्रयोगशाला तकनीकि के माध्यम से भाषा का ज्ञान प्राप्त करने का एक और सहज उपाय है। भाषा प्रयोगशाला की सहायता से विभिन्न भाषाओँ को आसानी से सीखा जा सकता है। उच्च शिक्षा में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए शिक्षा जगत से जुड़े लोगो को आगे आकर अनुवाद के बजाय मौलिक लेखन को बढ़ावा देना चाहिए तभी विज्ञानं और तकनीकि क्षेत्र कि उत्कृष्ट पुस्तकों कि रचना हो पायेगी।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने समारोह को सम्बोधित करते हुए हिंदी भाषा के उद्भव और विकास के साथ भारत कि भाषाई विविधता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं की विशेषता यह हैं कि उनमें विविधता के बावजूद एकात्मकता का भाव निहित है और हिंदी इसका केंद्र बिंदु है। उन्होंने कहा की हिंदी भाषा के संवर्धन और संपुष्टन के लिए सर्वप्रथम हमें अपने अंदर हिंदी के प्रति सम्मान और गर्व की भावना जागृत करने की आवश्यकता है।
प्रभारी कुलसचिव डॉक्टर धर्मेंद्र त्रिपाठी ने भी सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाये दी और हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की रूप रेखा प्रस्तुत किया। इस मौके पर संस्थान के अन्य संकाय सदस्य शिक्षक और कर्मचारीगण उपस्थित थे।