उत्तराखंड के खान-पान एक अभियान” के तहत शिक्षक जयप्रकाश कृथ्वाल राज्य में अपनी पारंपरिक खान-पान संस्कृति को बढ़ावा देकर नया आयाम स्थापित किया

प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल। कीर्तिनगर ब्लॉक के दूरस्थ विद्यालय राजकीय इंटर कॉलेज पिपलीधार डागर टिहरी गढ़वाल मैं कार्यरत शिक्षक जयप्रकाश कृथ्वाल उत्तराखंड राज्य में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।
पिछले कई सालों से वे मोटे अनाज (मिलेट्स)पर कार्य कर रहे हैं ।
“उत्तराखंड का खान–पान एक अभियान” के बैनर तले उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को प्रदेश के सभी पीएम पोषण से आच्छादित विद्यालयों में लागू करवाने की साथ-साथ लगातार प्रचार प्रसार का काम कर रहे हैं ।उत्तराखंड राज्य की खान पान से जुड़ी कोई पहचान न होने के कारण हमारी पारंपरिक भोजन “”मंडुवा की रोटी कंडाली की काफली “”उत्तराखंड की पहचान बने प्रयासरत है।
अपने विद्यालय से पारंपरिक भोजन को महत्व देने वाले शिक्षक ने उत्तराखंड में अपनी पारंपरिक खान–पान,संस्कृति को बढ़ावा देकर नया आयाम स्थापित किया है।
विद्यालय मैं बच्चों को पर्यावरण पूरक शिक्षा के साथ साथ कला,संस्कृति के प्रति बच्चों को प्रेरित कर रहे है।
किचन गार्डन में जहां वे पालीहाउस निर्माण करने के साथ ब्यावासाहिक शिक्षा मै नवाचार पर बल दे रहे हैं।वे शिक्षक के साथ साथ सामाजिक कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी अदा करते हैं।
इनके कार्यों और उपलब्धियों के कारण कई सामाजिक संगठन इनको सम्मानित करते आए हैं। पिछले वर्ष डॉ0 आंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप, भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली मै उन्हें सम्मान मिला है।
मोटे अनाज पर लगातार काम करने के कारण “”उत्तराखंड के खान–पान एक अभियान” के साथी से वे प्रदेश में जाने जाते है।