देहरादून-एसोसिएशन सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने कहा की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में सी यू ईटी की प्रवेश परीक्षा से प्रवेश का प्रयोग पूरी तरह से फैल रहा है उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों जैसे डीएवी कॉलेज डीबीएस कॉलेज एमकेपी कॉलेज एसजीआरआर कॉलेज में प्रवेश हेतु छात्रों की भीड़ हुआ करती थी और सीटों के सापेक्ष 4 से 5 गुना तक छात्र अप्लाई करते थे फिर मेरिट के आधार पर प्रवेश मिलता था लेकिन इस वर्ष सी यू ईटी की बाध्यता के कारण उपरोक्त कॉलेजों में भी सीटों के सापेक्ष कम संख्या में आवेदन आए और अभी 60% सीटें खाली हैं यह तब है की इन कॉलेज में नाम मात्र की फीस होती है नाम मात्र की फीस होने के बावजूद इन कॉलेजों में सीटें खाली हैं ऐसी स्थिति में प्राइवेट कॉलेजों की स्थिति और खराब है और वहां 5 से 10% तक ही सी यू ई टी की प्रवेश परीक्षा वाले छात्र उपलब्ध हुए हैं इस संबंध में शुरू में ही यूजीसी और गढ़वाल विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर प्रवेश में सी यू ई टी की बाध्यता से मुक्त रखने की मांग की गई थी लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया अब स्थिति यह है की जो छात्र सीयूईटी की परीक्षा नहीं दे पाए उनके लिए श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी का भी विकल्प 14 अगस्त को समाप्त हो जाएगा ऐसी स्थिति में छात्रों के लिए सिर्फ निजी विश्वविद्यालय का ही विकल्प बचेगा जो की गरीब छात्रों को शिक्षा से वंचित करने वाला है जो छात्र फीस अधिक होने के कारण निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश नहीं ले पाएंगे वह इस वर्ष उच्च शिक्षा में प्रवेश से वंचित रह जाएंगे सीयूईटी में प्रवेश की बाध्यता से पूर्व इसका समुचित प्रचार प्रसार होना चाहिए था और प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सीधे प्रवेश की भी अनुमति होनी चाहिए थी लेकिन केंद्र सरकार की चिट्ठी के बावजूद यूजीसी ने संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय तो अपने स्तर पर कोई निर्णय लेता ही नहीं प्रवेश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए एसोसिएशन द्वारा एक बार फिर यूजीसी को पत्र भेजा गया है और माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी को भी पत्र भेज कर इस गंभीर विषय पर चर्चा हेतु समय देने की मांग की गई है जिससे छात्रों को प्रवेश का उचित अवसर मिल सके जब सीयूईटी का फॉर्म भरा जा रहा था तो उसमें कॉलेजों का तो नाम था ही नहीं ऐसे में छात्रों के पास कॉलेज का नाम भरने का विकल्प ही नहीं था तो अपने आप में यह परीक्षा उत्तराखंड में सफल साबित नहीं हुई है ऐसे में गढ़वाल विश्वविद्यालय को भी छात्र हित में अपने स्तर पर खाली सीटों पर अन्य छात्रों को प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए यह भी गढ़वाल विश्वविद्यालय से भी मांग की गई है
-डॉ सुनील अग्रवाल
अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय अनऐडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन