रुड़की।श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर के दिगंबर श्री भरत गिरी जी महाराज राजपूताना स्थित पूर्व मेयर गौरव गोयल के आवास पर पधारे,जहां उन्होंने आगामी अढ्ढाईस अगस्त को देहरादून में भव्य शोभायात्रा एवं दो सितंबर को भजन संध्या कार्यक्रम आयोजन का निमंत्रण दिया।श्रीभरत गिरी जी महाराज ने पूर्व मेयर गौरव गोयल को आशीर्वाद देते हुए कहा कि श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन आदि-अनादि काल से देहरादून टमसा-टौंस नदी के किनारे स्थित है,जो टपकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।इस देवभूमि पर जागृति अवस्था में देवता रमण भ्रमण किया करते थे।उस दौरान देवता लोग आकर भगवान शिव का ध्यान करते थे तथा शिवजी की आराधना किया करते थे।जब-जब देवताओं पर विपत्ति आई तब अनेकों बार भगवान शिव ने भूमार्ग से प्रकट होकर देवताओं की
रक्षा की।देवताओं को देवेश्वर रूप में दर्शन दिए तथा तभी से स्वयं भू-देवेश्वर के रूप में पूजा जाने लगे,साथ ही बह रही तटमसा टौंस नदी में देवता लोग स्नान किया करते थे।उस दौरान यह नदी देव धारा के नाम से भी जानी जाती थी।उन्होंने बताया कि महाभारत की दोनों सेना के कुलगुरु द्रोणाचार्य जी पूरे हिमालय का भ्रमण करते हुए पत्नी कृपी के साथ इस गुफा में आए और भगवान शिव के तपस्या करते हुए यहां बारह वर्ष व्यतीत किये,तभी संध्या काल के समय भूमार्ग से एक प्रकाश निकला तथा तीनों लोकों कम्पायमान करती आवाज आई,हे तरुण तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हैं,जो वरदान चाहते हो मांगो।उस दौरान गुरु द्रोण उस तेज को अपनी आंख से झेल ना पाए। पुनः द्रोण ने भगवान शिव से प्रार्थना की,हे भगवान आप मुझे सौम्य रूप में दर्शन दें,तब भगवान शिव मार्ग से प्रकट हुए।तपस्या से प्रसन्न होकर तपेश्वर के रूप में दर्शन दिए और द्रोण ने विश्व कल्याण एवं शांति हेतु धनुर्विद्या का ज्ञान मांगा।रोज मध्य रात्रि को भगवान शंकर भूमार्ग से प्रकट हुआ करते थे।आचार्य तरुण को गुफा में धनुर्विद्या का अध्याय पढ़ाया एवं पशुपात्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए।तत्पश्चात तरुण ने इसी गुफा में कौरव-पांडवों को धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान कर प्रशिक्षित किया।उन्होंने बताया कि भक्तजन टपकेश्वर शिवलिंग का जलाभिषेक कर मनोकामना अनुसार फल पाते हैं।इस अवसर पर अनूप शर्मा,रजनीश गुप्ता, वरुण जैन उर्फ बंटी,दीपक आदि भी मौजूद रहे।