पौड़ी से रेफर होकर आई बालिका का हुआ सफल ऑपरेशन बेस अस्पताल के ईएनटी डॉक्टरों ने बचाई जान

गबर सिंह भंडारी

श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी में कुत्तों के झुंड द्वारा स्कूल जाती पांच वर्षीय बालिका को बुरी तरह घायल करने पर पौड़ी अस्पताल से बेस चिकित्सालय के लिए रेफर करने पर बेस चिकित्सालय के ईएनटी के डॉक्टरों समय पर ऑपरेशन का निर्णय लेकर बालिका की जान बचाई है। बालिका के गले पर कुत्तों ने दांतों से गहरे घाव कर दिये थे, जिससे दो नसों से लगातार खून बह रहा था, जिससे बालिका के जान को खतरा बना हुआ था, किंतु बेस चिकित्सालय के ईएनटी सर्जन डॉ. रविन्द्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद बालिका का सफल ऑपरेशन कर कटी नसों का ट्रीटमेंट कर जान बचाई गई।
बेस चिकित्सालय में पौड़ी से रेफर होकर पहुंची पांच वर्षीय बालिका रेजिना पुत्री वीरेन्द्र बुढ़ा को देखने के लिए बेस चिकित्सालय के एमएस एवं ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. रविन्द्र सिंह बिष्ट पहुंचे तो उन्होंने बालिका को गंभीर अवस्था में पाया गया, तो सीधे इमरजेंसी से बालिका को ओटी में शिफ्ट कराया गया। जिसके बाद डॉ. रविन्द्र बिष्ट ने एनेस्थिसिया डॉक्टरों की मदद से बालिका को बेहोश कर गले का ऑपरेशन कर कटी हुई नसों का ट्रीटमेंट किया। डॉ. बिष्ट ने बताया कि पौड़ी अस्पताल से उन्हें फोन आया था, तो उन्होंने सीधे बालिका को बेस चिकित्सालय बुलाया गया। बेस चिकित्सालय पहुंचने पर डॉ. बिष्ट ने बताया बच्ची के सिर पर गहरे घाव थे, जिस ट्रीटमेंट कर दिया था, बाकि गले पर जो गहरे घाव थे, उसको देखते हुए सीधे ऑपरेशन कर कटी दो नसों का ट्रीटमेंट कर दिया गया। लगभग तीन घंटे के भीतर ऑपरेशन किया गया। कहा कि बालिका को अगले दस दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जायेगा। डीएम गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान ने भी बालिका के ट्रीटमेंट के संदर्भ में चिकित्सा अधीक्षक से जानकारी ली और सफल ऑपरेशन करने पर डॉक्टरों की सराहना की। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने एनेस्थिसिया एवं ईएनटी की पूरी टीम को अतिगंभीर केस के सफलतापूर्वक ऑपरेशन करने की प्रशंसा की। कहा कि यह मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के क्वालिटी मैनेजमेंट का अनुपम उदाहरण है। बालिका के सफल ऑपरेशन में एनेस्थिसिया विभाग के एचओडी डॉ. अजेय विक्रम सिंह, ईएनटी के असिस्टेंट प्रो. डॉ. अर्जुन सिंह, एसआर सोनल काला, डॉ. सोनाली, डॉ. स्वाती, एनेस्थिसिया के जेआर डॉ.सरोज, ओटी टैक्नीशियन दीपक का विशेष सहयोग रहा।