राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा को समग्र, किफायती, सुलभ और न्यायसंगत बनाने वाला एक पथप्रदर्शक और व्यापक दस्तावेज है: प्रोफेसर मनोज सिंह गौर
प्रोफेसर सहाय ने कहा कि एनईपी-2020 के तहत, छात्रों को अध्ययन के लिए विषयों का चयन को और अधिक आसान कर किया गया है, जिससे 21वीं सदी के कुशल और सर्वांगीण व्यक्तित्व का सृजन होता है। प्रोफेसर सहाय ने कहा कि एनईपी-2020 21वीं सदी की शिक्षा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुरूप एक नई प्रणाली का निर्माण करेगी जो प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता के विकास पर विशेष रूप से जोर देगी।
प्रोफेसर सहाय ने यह भी कहा कि जम्मू भारत का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां तीन प्रतिष्ठित संस्थान स्थित हैं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शुरूआत से आईआईटी जम्मू के साथ दोहरी डिग्री कार्यक्रम (बी.टेक. और एमबीए), एम्स जम्मू और आईआईटी जम्मू के साथ स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्य प्रशासन में एमबीए तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स, गुरुग्राम के साथ कॉरपोरेट मामलों और प्रबंधन में कार्यकारी एमबीए जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अन्तर-संस्थागत जुड़ाव शुरू करने में समर्थ हुए हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जम्मू के निदेशक, मनोज सिंह गौड ने मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा को समग्र, किफायती, सुलभ और न्यायसंगत बनाने वाला एक पथप्रदर्शक और व्यापक दस्तावेज है।
प्रोफेसर गौर ने यह भी कहा कि एनईपी 2020 की शुरुआत और इसके अंतर्गत कोई भी बी.टेक छात्र जिसने अपने 6 सेमेस्टर पूरे कर लिए हैं, वह अपेक्षित योग्यता मानदंडों को पूरा करने के बाद अपने दो अंतिम सेमेस्टर के लिए आईआईटी जम्मू में प्रवेश ले सकता है। ऐसा एनसीआरएफ (राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क) के अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) के अकादमिक बैंक मानदंड के माध्यम से होगा, जो शिक्षार्थियों की सीमलैस मोबिलिटी के तहत शिक्षार्थी-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने वाले उच्च शिक्षा संस्थान के शैक्षणिक क्रेडिट डेटा बेस का एक डिजिटल या वर्चुअल या ऑनलाइन स्टोर-हाउस है।
प्रोफेसर गौर ने कहा कि आईआईटी जम्मू में आवश्यक कौशल जैसे वित्त प्रौद्योगिकी, सॉफ्ट-कौशल, भाषा तथा जीवन कौशल जैसे आवश्यक कौशल के साथ जम्मू से बाहर के लोगों को प्रशिक्षित करता है और अब तक, सीईएस ने इस क्षेत्र के 1000 से अधिक से व्यक्तियों को लाभान्वित किया है।
प्रोफेसर गौर ने बताया कि हाल ही में यहां शरद सर्राफ सेंटर फॉर आयुर्वेद तथा भारतीय अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है, जो शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान सहयोग और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान पंरपरा को बढ़ावा देने के लिए एनईपी-2020 के विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय ज्ञान पंरपरा के कोष को तैयार करने में भी सहायता प्रदान करेगा।