गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल। अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका आदिशक्ति मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी के 58 वें पुण्य स्मृति दिवस पर मातेश्वरी जी के दिव्य चरित्र उनके आध्यात्मिक चिंतन को जीवन में उतारने के लिए लिया गया संकल्प । आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमार भ्राता मेहर चंद ने कहा कि संस्थान के शुरुआती दिनों सन 1936 से ही मातेश्वरी एवं उनका समस्त परिवार संस्थान के संपर्क में रहा। उनकी विलक्षण प्रतिभा, कुशाग्र बुद्धि आज्ञाकारीता का भाव को देखकर संस्थान के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा ने सन 1940 में उन्हें प्रथम मुख्य प्रशासीक नियुक्त किया।
उन्होंने कहा कि मातेश्वरी जी त्याग तपस्या की मूरत थी चाहे 16 वर्ष की आयु में आजीवन पवित्रता का व्रत लेना हो प्रातः 2:00 बजे उठकर के विश्वकल्याण अर्थ ज्ञान योग की साधना करना हो आध्यात्मिक बल से मनुष्य जीवन को दुख अशांति से मुक्त करना हो जैसे श्रेष्ठ कार्यों उन्होंने करके दिखाया । उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व सहर्ष की कई भाई बहनों को साकार में श्री लक्ष्मी का साक्षात्कार करवाता था। आगे उन्होंने कहा कि आज मातेश्वरी जी के त्याग तपस्या और सेवा भाव से प्रेरणा लेते हुए ब्रह्माकुमारी से जुड़े लाखों भाई बहनों अपने तन मन धन से भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए दृढ़ संकल्प रत हैं । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री कुशलानाथ जी आर.टी.आई एवं आर.टी.ई कार्यकर्ता ने कहा कि ब्रह्माकुमारी विश्व भर में भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रही है। कार्यक्रम में पधारे विशिष्ट अतिथि विमल बहुगुणा वरिष्ठ रंगकर्मी ने अपनी प्रस्तुति से मातेश्वरी जगदंबा को अपनी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम केद दौरान रशिया में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन गोल्ड मेडल जीतने वाले देवांश नौटियाल को भी उनकी इस अद्भुत उपलब्धि के लिए उनको संस्थान की तरफ से सम्मानित किया गया। अंत में उपस्थित भाई बहनों को ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया मंच संचालन ब्रह्माकुमारी दीक्षा बहन द्वारा किया गया। इस दौरान बीके नीलम, सीमांचल, जसवंत,भानु, तेजस आदि मौजूद थे।