गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड द्वारा 8-9 जून 2023 को “कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और उनके अनुप्रयोग(आईसीटूईथ्री-2023)” शीर्षक पर अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले संस्करण आयोजन किया जा रहा है। 8 जून 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड के पॉलिटेक्निक परिसर में स्थित सभागार में आयजित सम्मलेन के उद्घाटन समारोह में प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय बतौर मुख्य अतिथि; प्रो. ललित कुमार अवस्थी, निदेशक, एनआईटी उत्तराखंड बतौर मुख्य संरक्षक, प्रो. एस.एन. सिंह, निदेशक, अटल बिहारी वाजपेयी- भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर एवं डॉ. राकेश कुमार भारद्वाज, समूह निदेशक डीआरडीओ डील देहरादून, उत्तराखंड, बतौर सह-संरक्षक के अलावा डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव, एनआईटी उत्तराखंड, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य एवं सम्मलेन में भाग लेने आये समस्त प्रतिभागी मौजूद थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा पारम्परिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया और माननीय निदेशक, एनआईटी उत्तराखंड ने पुष्प गुच्छ और स्मृति चिह्न देकर अतिथियों को सम्मानित किया।
तत्पश्चात प्रोफेसर अवस्थी ने समारोह को सम्बोधित करते हुए अतिथियों और प्रतिभागियो को एनआईटी के शैक्षणिक कार्यक्रम और उपलब्धियों के साथ देवभूमि उत्तराखंड का संक्षिप्त परिचय दिया और बताया कि प्रतिष्ठित तकनीकी संगठन आईईईई के सहयोग से एनआईटी उत्तराखंड में होने वाला यह पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है और इस का आयोजन संस्थान के कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सम्मिलित रूप से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के महत्व का आंकलन इस बात से किया जा सकता है कि इसमें एक हजार से दस से ज्यादा लोगो ने अपने शोध पत्र भेजे है और अंततः शोध पत्रों की सबमिशन प्रक्रिय को बंद करना पड़ा। उन्होंने बताया कि शोध पत्रों कीसमीक्षा प्रक्रिया के बाद मौखिक प्रस्तुति के लिए लगभग 300 शोध पत्रों का ही चयन किया गया है।
अपने सम्बोधन में कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो रही अद्यतन तकनीकी प्रगति का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने सेंसर नेटवर्क, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वीएलएसआई, ब्लॉक चेन, क्लाउड कंप्यूटिंग, फॉग कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, बिग डेटा 5 जी और 6 जी, इलेक्ट्रिकल वाहन, इंडस्ट्री । आरएफ प्रौद्योगिकी , रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और साइबर भौतिक प्रणाली में हो रही तकनीकी प्रगति ने दुनिया को नया आयाम दिया है और परिणामस्वरूप एक स्मार्ट दुनिया बन गयी।
सामजिक जीवन पर सोशल मीडिया के प्रभाव का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि तेजी से हो रहे तकनीकी विकास ने कई चुनौतियों को भी जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल खबर कि सत्यता की जांच एक चुनौती बन चुकी है और कई बार सोशल मीडिया पर प्रचारिह असत्य खबरें भयावह रूप ले लेती है। 2022 में रैनसमवेयर हमले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा की जैसे जैसे तकनीक आगे बढ़ती है वैसे-वैसे साइबर हमलावर भी आगे बढ़ते है। इसीलिए साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
भारत देश के जनसांख्यकीय लाभ के महत्व पर जोर देते उन्होंने देश के सभी शोधार्थियों को अपने देश में विनिर्माण और रोजगार सृजन की संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की योजनाओं के लिए योगदान देने का आह्वाहन किया। हमारे विकसित देश भारत की इस इच्छा को पूरा करने के लिए सभी शिक्षा संस्थान युवाओं के दिमाग को उद्यमी बनने के लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
उन्होंने ने कहा की इस प्रकार के सम्मेलनों के आयोजन के पीछे का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग और साझेदारी है जो नयी शिक्षा नीति 2020 का भी मुख्य लक्ष्य है। प्रोफेसर अवस्थी ने आशा व्यक्त किया कि यह सम्मेलन इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में नवीनतम रुझानों और नवाचारों प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और शिक्षकों को एक प्रमुख अंतःविषय प्लेट फॉर्म प्रदान करेगा। साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का अवसर प्रदान करेगा।
अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने सभी अतिथियों, प्रायजकों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया , डीआरडीओ, जेवी माइक्रोनिक्स, ओपल आरटी, टाइफून हिल, एडुटेक आदि का धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि एनआईटी 2009 से यहां काम कर रही है लेकिन समुदाय या समाज द्वारा उपस्थिति महसूस नहीं की गई थी। लेकिन अब एनआईटी लोकप्रियता नजर आ रही है। और इसका श्रेय प्रोफेसर एल के अवस्थी को जाता है। उन्होंने कहा कि यह कार्य हर शैक्षणिक संस्थान पर काम किया जाना चाहिए। यह उनके काम से, उनकी सोचने की प्रक्रिया से प्रदर्शित होना चाहिए। प्रोफेसर नौटियाल ने कहा कि मैं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से संबंधित नहीं हूं, लेकिन मैं प्रौद्योगिकी का उपयोगकर्ता हूं। उन्होंने कहा कि सम्मलेन कि एब्स्ट्रैक्ट पुस्तिका संकलन एवं प्रस्तुतिकरण जितना उत्कृष्ट है और आशा है निष्कर्ष भी उतना ही अद्भुत होगा। अगर हम अपने भीतर काम करते रहेंगे तो कोई नहीं जान पाएगा कि हम क्या कर रहे हैं। इसलिए सम्मेलन एक-दूसरे को जानने, एक-दूसरे से जुड़ने और एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का अवसर प्रदान करते हैं।
सम्मेलन के आयजकों डॉ प्रकाश द्विवेदी, डॉ सौरव बोस डॉ पंकज पाल ने जानकारी दी कि इस सम्मेलन में पेपर की मांग के लिए अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली और एक हजार से ज्यादा लोगो ने अपने शोध पत्र भेजे। और समीक्षा प्रक्रिया के बाद मौखिक प्रस्तुति के लिए लगभग 300 शोध पत्रों का चयन किया गया है जो इस सम्मेलन की गुणवत्ता का स्वयं परिचायक है। उन्होंने बताया कि इन 300 शोधपत्रों को को एक और समीक्षा प्रक्रिया से गुजरने के बाद उपयुक्त पाए गए पत्रों को प्रतिष्ठित आईईईई, कांफ्रेंस प्रोसीडिंग में प्रकाशित किया जाएगा।