कविता संग्रह – पिता अब याद आने लगे हैं   

कविता संग्रह – पिता अब याद आने लगे हैं   

ज़िन्दगी जब से रुलाने लगी है
तो आंखों में आंसू आने लगे हैं।
जब मुझ पर खुद गुजरी
तो पिता अब याद आने लगे हैं।
एक वही थे जो जीना सिखाते थे
अब सितारे भी गर्दिश में आने लगे हैं
पिता अब याद आने लगे हैं।
पता नहीं था इतनी जालिम है दुनिया
अपने ही अब दिल दुखाने लगे हैं
पिता अब याद आने लगे हैं।
हजारों ख़्वाहिशें दफन कर देते थे अपनी
हमें तो इसमें ज़माने लगे हैं
पिता अब याद आने लगे हैं।
मुसीबतों में कोई साथ देता नहीं
आश्वासन ही सब थमाने लगे हैं
पिता अब याद आने लगे हैं।
उम्र के उस पड़ाव पर हैं निर्वेद
दर्द भी अब झुकाने लगे हैं
हां पिता अब याद आने लगे हैं।
नरी लाल निर्वेद
श्रीनगर गढ़वाल।

प्रस्तुति- गबर सिंह भंडारी श्रीनगर गढ़वाल