हरिद्वार – उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषि कुल परिसर स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज में दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति एवं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विशाल पशु चिकित्सा एवं आयुर्वेद संगोष्ठी २०२३(अंतरराष्ट्रीय आयुरवेट २०२३) कॉन्क्लेव 2023 के द्वितीय दिवस पर प्रथम सत्र में देश के केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ० महेंद्र भाई मुंजपारा, श्री अभिजीत महापात्र जी(अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), प्रोफेसर सुनील जोशी कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो०सोमदेव शतांशु कुलपति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार, प्रोफेसर दिनेश शास्त्री कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा सर्वप्रथम धन्वंतरी पूजन एवं गो वंदना के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ महेंद्र मुंजपारा जी ने कहा कि इंसान का डॉक्टर बनना आसान है लेकिन पशु का डॉक्टर बनना बहुत कठिन है। क्योंकि इन्सान अपने कष्ट को बता सकता है लेकिन पशु नहीं। हमारे प्राचीन भारतीय परंपरा में पहली रोटी गौ माता के लिए बनाने की परंपरा रही है । गौ पालन और पंचगव्य द्वारा स्वास्थ्य रक्षण एवं विभिन्न प्रकार के रोगों के निवारण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मंत्री जी ने कहा के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयास से हम लोग पशु चिकित्सा मे भी आयुष पद्धति को समाहित करने की दिशा में कार्य कर रहे है। हमारे द्वारा आयुष को अलग इंडिपेंडेंट मिनिस्ट्री बनाया गया। आयुष के बजट को भी बढ़ाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा वेटनरी मेडिसिन के लिए अलग से आयुर्वेदिक फॉर्मुलरी आफ इंडिया का निर्माण किया गया है। अजीत महापात्र ने गौ एवं पंचगव्य की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा मानव संसार की अमूल्य कृति है और पशुधन और गौ सेवा हमारी परंपरा रही है पहले के समय में एक गांव में १७ व्यक्तियों पर एक गाय होती थी परंतु आज के समय में१७०० लोगों पर भी एक गाय बड़ी मुश्किल से देखने में मिलती है। तथा जलवायु, मिट्टी, हमारा समग्र पर्यावरण दूषित हो गया है उसका कारण अत्यधिक रसायनिक खाद एवं कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग है।
उन्होंने का केंचुआ बहुत छोटा होते हुए भी वह हमारे पर्यावरण के लिए मित्र की तरह कार्य करता है वह हमारी प्रकृति एवं मृर्दा संरक्षण, भूमि की उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हैं अत: हमें ऑर्गेनिक खाद, गोमूत्र इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए। पंच गव्य के समुचित वैज्ञानिक प्रयोग से हम अपने पर्यावरण को एवं अपने शरीर को संपूर्ण रूप से सही एवं स्वस्थ कर सकते। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर सुनील जोशी ने कहा के आयुर्वेद में पंचगव्य और मर्म चिकित्सा को समाहित करना आयुर्वेद की विश्वव्यापी स्वीकारता में एक क्रांतिकारी कदम होगा। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय इस दिशा में शोध के लिए महत्वपूर्ण योजना तैयार कर रहा है । सफल संचालन प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री ने किया। कार्यक्रम के संयोजक एवं दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति के उप मंत्री डॉ हेमेंद्र यादव ने बताया कि आज चार अलग-अलग हाल में २-२ सत्र मैं वैज्ञानिक शोध पत्र विभिन्न 19 कॉलेज से आए बीएएमएस एवं पीजी के छात्र छात्राओं एवं आईआरबी वैज्ञानिकों द्वारा 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। प्रथम वैज्ञानिक सत्र में डॉ बी डी जोशी अध्यक्ष रहे। इस सत्र के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुरेले ने विश्वव्यापी वेटरनरी फुड सप्लीमेंट की वर्तमान स्थिति एवं इसके कमर्शियल बिजनेस प्रोस्पेक्ट को सामने रखकर रिसर्च के माध्यम से नए-नए उत्पाद के विकसित करने के बारे में विद्यार्थियों को जागरुक किया। तथा आयुर्वेद के पंच महाभूत, त्रिदोष, त्रिगुण्, सप्त द्रव्य आदि विभिन्न सैद्धांतिक पक्ष का मानव एवं पशुओं में साधर्म में स्थापित करते हुए आयुर्वेद के विद्यार्थियों को पशु चिकित्सा में भी कार्य करने की अभिरुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के विद्वान डॉ नवनीत पवार ने गौ विषय पशु चिकित्सा में शोध पत्र प्रस्तुत किया। दीनदयाल गौशाला के मंत्री श्री हरि शंकर , अनुराग शर्मा, संजय शर्मा , डॉ मधुसूदन शर्मा, राकेश शर्मा जी, डॉ शशिकांत कोषाध्यक्ष, गोपाल राठी, प्रोफेसर अनूप गक्खड़ कुलसचिव उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, डॉ राजेश अधाना, प्रोफ़ेसर पंकज शर्मा कैंपस डायरेक्टर, डॉक्टर संजय गुप्ता, डॉ० शैलेंद्र प्रधान , मीडिया प्रभारी डॉ राजीव कुरेले, डॉ विक्रांत यादव, प्रो०ओपी सिंह, प्रो० माधवी गोस्वामी, प्रॉ सुमनमिश्रा, प्रो०अजय गुप्ता, सुनील चौहान संस्कार भारती मंत्री, डॉ अनुराग वत्स, डॉक्टर शाशिकान्त तिवारी, मंगलम ट्रस्ट के अध्यक्ष डा० जितेंद्र सिंह, श्री पवन कुमार, हेमंत जी विभाग सेवा प्रमुख, देशराज शर्मा, डॉक्टर नंदकिशोर दाधिचि डॉ अमित तमादड्डी, डा दीपक सेमवाल, डॉ अवनीश उपाध्याय , डॉ विपिन अरोरा, डा०शिखा, डॉ ज्ञान प्रकाश, डॉ ज्ञानेन्द्र शुक्ला, डा० नितिन, डॉ वेद भूषण शर्मा, डॉक्टर अरुण, डॉक्टर किरण, डॉ अरुण, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे हैं।