6 अक्टूबर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा व आशीर्वाद से श्री अजय भाई जी के सान्निध्य में आयोजित डिजिटल कलात्मक श्री रामलीला का समापन हुआ।
श्री रामलीला के समापन अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा रचित पुस्तक ‘हॉलीवुड टू द हिमालयाज़’ की कृति भगवान श्री राम और मंचन करने वाले सभी कलाकारों को भेंट की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री अजय भाई जी के पावन सान्निध्य में सभी कलाकारों ने स्वच्छता अभियान में सहभाग कर गंगा घाट और स्वर्गाश्रम क्षेत्र में सफाई की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महापुरूषों का संग, बदल देता जीवन का रंग, विगत दस दिनों से परमार्थ निकेतन में श्री रामलीला का मंचन के साथ ही सभी को पूज्य संतों और दिव्य महापुरूषों का सान्निध्य प्राप्त हुआ, यही जीवन की धन्यता भी है।
पावन गंगा का तट और हिमालय की गोद से पूरे विश्व को शान्ति, समता, समरसता और सद्भाव का संदेश प्राप्त होता है और यही तो भारत की विशेषता भी है। भारत का अर्थ ही है कि जो स्थल पूर्णतः प्रकाश में रत हो, अंधेरों से लड़ते हुये भी अपने प्रकाश को न भूले यही संदेश हमें रामायण और भगवान श्री राम से भी प्राप्त होता हैं।
स्वामी जी ने कहा कि यहां से आप सभी श्री राम जी के आदर्श को लेकर जायें, अपने सत्य को न भूले, अपनी पूर्णता को न भूले, अपनी जड़ों को, अपने मूल को और अपने मूल्यों को न भूले क्योंकि आज भारत को ऐसे ही चरित्रों की आवश्यकता है
श्री अजय भाई जी ने कहा कि भगवान श्री राम ने वास्तव में सभी संबंधों को जीवंतता के साथ जिया। उन्होंने जीवन के सभी सम्बंधों में आदर्श स्थापित कर भाई-भाई का प्रेम; पिता पुत्र का प्रेम; माँ और बेटे का प्रेम; पति-पत्नी का प्रेम, राजा और प्रजा का प्रेम और सबसे अधिक भक्त और भगवान के प्रेम को प्रकट किया। इन सभी सम्बंधों में भक्ति, त्याग, तपस्या, समर्पण एवं निष्ठा का भाव समाहित है, आईये हम यहां से इस प्रेरणा को अपने साथ लेकर जायें।
श्रीरामलीला के माध्यम से श्री अजय भाई जी और मंचन करने वाले छात्रों ने श्री रामजन्म व सीता जी का प्राकट्य उत्सव, ताड़का सुबाहु वध, अहिल्या उद्धार, गंगावतरण, श्रीरामचन्द्र जी और सीताजी का विवाह, अशोक वाटिका, हनुमान सीता भेंट, लंका दहन, कुम्भकर्ण मेघनाथ एवं रावण वध, दशहरा महोत्सव आदि दृश्यों को मनमोहक रूप से प्रस्तुत किया।