ऋषिकेश, 4 अक्टूबर । परमार्थ निकेतन में आयोजित रामलीला के मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज दशहरा की पूर्व संध्या पर आयुध पूजन के साथ विश्व का सबसे बड़ा हथियार ‘‘शान्ति’’ को आत्मसात करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि शान्ति एक दिव्य आयुध है जिसे धारण कर पूरी दुनिया पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष हमारी वैज्ञानिक, प्रविधिक, चिकित्सा एवं अभियान्त्रिकी शक्ति समृद्ध होती जा रहती है। साथ ही नवोदित कौशल एवं दक्षता में भी वृद्धि हो रही हैं परन्तु वैश्विक स्तर पर व हमारे समुदाय, परिवार और हम सभी के लिये शान्ति एक जरूरत बन चुकी है। स्वामी जी ने कहा कि शान्ति एक सामान्य जरूरत है परन्तु दुर्लभ वस्तु भी है। अब ’विश्व शान्ति’ एक कथन बन चुका है इसलिये शान्ति के व्यापक विस्तार के लिये हमें हम सभी को आगे बढ़ना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि आन्तरिक एवं बाह्य शान्ति के अभाव में सब कुछ अर्थहीन हैं। हम कठिन परिश्रम द्वारा सफलता अर्जित कर सकते है किन्तु यदि घर पहुंचकर पारिवारिक विप्लव में उलझना पडे़ तो कठिन परिश्रम से अर्जित, सफलता का आनन्द नहीं ले सकते। हम उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये अपने आप को समर्पित कर सकते हैं किंतु यदि हम आंतरिक रूप से दुःखी हैं तो बाहर की कोई भी उपलब्धि हमारे मन को तृप्त नहीं कर सकती इसलिये शान्ति परम आवश्यक है।
आज अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि धरती माँ की रक्षा व संरक्षण के लिये शाकाहार की अहम भूमिका है। शाकाहार एक सशक्त विकल्प है जो धरती माँ को स्वच्छ और स्वस्थ रखने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शाकाहारी होने का मतलब है कि हमने वर्तमान में शान्तिपूर्ण व धार्मिक जीवन जीने का विकल्प चुना है ताकि भविष्य के लिये सुनहरी दुनिया सुरक्षित रहें। आईये अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस के अवसर पर शाकाहारी युक्त जीवन जीने का संकल्प लें।