स्व-सहायता समूह केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर ही नहीं बना रहे हैं, उन्हें आत्म सम्मान और आत्म पहचान के साथ अन्य जरूरतमंद महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं ।

खुशियों की दास्तां

श्रीमती साधना पति श्री महेश लोधी बताती है कि उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की । उनका सपना था गांव में ब्यूटी पार्लर खोलकर आत्मनिर्भर बनने का, उनका यह सपना दुर्गा आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ने से पूरा हुआ है । श्रीमती साधना बताती है कि उन्होंने रूडसेट संस्थान से ब्यूटी पार्लर संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया । आज ग्राम गुनगा में उनका स्वयं का ब्यूटी पार्लर संचालित है एवं साथ में गांव की महिलाओं को प्रशिक्षण का कार्य भी कर रही हूँ । उन्होंने कहा कि इस समूह का गठन 2017 में हुआ था । आज इस समूह की सदस्य संख्या 12 है । मेरे द्वारा स्वरोजगार योजना में और समूह से ऋण लेकर पार्लर संचालित किया जा रहा है ।

उनका कहना है कि समूह से जुड़ने से आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत होकर समाज एवं ग्राम में स्वयं की पहचान बनी है और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है । श्रीमती साधना कहती हैं कि समूह से जुड़ने के पश्चात मुझे आसानी से आवश्यकतानुसार ऋण प्राप्त हो जाता है । मैं अपने परिवार को आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही हूँ और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में भी सक्षम हूँ । समूह से जुड़कर गांव में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेने से मेरी पहचान बनी है और मुझे तथा मेरे परिवार को सम्मान मिला है । वे कहती हैं कि स्व सहायता समूह से जुड़ने से पहले मेरी कोई पहचान नहीं थी, न ही गांव के लोग मुझे पहचानते थे । स्व सहायता समूह से जुड़ने से ग्राम की अन्य महिलाओं को भी आजीविका की गतिविधियां संचालित करवाई जा रही है जिससे उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही है ।