हरिद्वार । विश्व आयुर्वेद परिषद उत्तराखंड द्वारा बीएएमएस महिला विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय आयुर्वेद अभ्यास कार्यशाला का जगतगुरु आश्रम कनखल में आयोजन किया गया। हरिद्वार जिले के सात आयुर्वेद महाविद्यालय गुरुकुल, ऋषिकुल, ओम आयुर्वेद कॉलेज, पतंजलि कॉलेज, क्वाड्रा कॉलेज, मदरहुड कॉलेज, हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज के कुल 120 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
प्रातः 9:00 बजे से 4:00 बजे तक के कार्यक्रम का शुभारंभ धन्वंतरी वंदना के साथ किया गया। कार्यशाला के प्रथम सत्र में ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अंजलि ने सामान्य स्त्री रोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया की महिलाओं के सभी रोगों में आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा की जाने वाली चिकित्सा का स्थाई प्रभाव मिलता है एवं महिलाओं के स्वास्थ्य में सभी प्रकार से सुधार होता है। महिलाओं में विशेष रुप से वात दोष के प्रकोप के कारण ही रोग उत्पन्न होते हैं। इसी सत्र में हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज के पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर माहेश्वर एवं गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज की एमडी स्कॉलर तनुजा ने जलौका लीच एप्लीकेशन प्रयोग का प्रत्यक्ष रोगी पर करके दिखाया एवं उपचार की विशेषता उपयोग एवं सावधानियों पर प्रकाश डाला। जलौका के द्वारा दूषित रक्त के निकल जाने से विभिन्न प्रकार की त्वचा रोगों एवं रक्त वाहिनीयों के रोगों में विशेष शेष लाभ मिलता है। द्वितीय वैज्ञानिक सत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जड़ी-बूटी विशेषज्ञ डॉ विनोद प्रकाश उपाध्याय ने विद्यार्थियों को विदेशों में आयुर्वेद की मांग एवं उसके अनुरूप स्वयं को तैयार करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने औषधियों के निर्माण की जानकारी दी एवं संजीवनी वटी के बारे में बताया कि जटामांसी नमक एक औषधि हिमालय में बहुत ऊंचाई पर मिलती है इसका प्रयोग बेहोशी दूर करने के लिए किया जाता है। यही वह संजीवनी है जिसे हनुमान जी लक्ष्मण जी की मूर्छा दूर करने के लिए हिमालय से लंका लेकर गए थे। इसकी जड़ के रस का प्रयोग उपचार के लिए किया जाता है।
विद्यार्थियों की प्रतिभा को सामने लाने के लिए उनके विचार व्यक्त करने की क्षमता को बढ़ाने हेतु एक वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसका विषय उसी समय दिया गया कि मोबाइल का प्रयोग पढ़ाई में एवं सफलता में बाधक है। इस विषय के पक्ष में एवं विपक्ष में विद्यार्थियों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। यह विचार सामने आए कि अगर युक्ति पूर्वक मोबाइल का प्रयोग किया जाए तो यह बहुत ही सहयोगी है एवं उसका अनावश्यक प्रयोग समय की हानि करता है एवं हमें अपने उद्देश्य से भटकाता है। एक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को पुरस्कार दिया गया। डॉ मनीषा दीक्षित ने व्यक्तित्व विकास एवं सफलता के सूत्रों पर व्याख्यान दिया। प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री ने आयुर्वेद परिषद का परिचय एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में संभावना पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ उत्तम कुमार शर्मा ने सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया एवं उत्तराखंड में आयुर्वेद परिषद के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद परिषद द्वारा शिक्षकों, चिकित्सकों, विद्यार्थियों, औषधि निर्माता एवं सामान्य जन के लिए आयुर्वेद के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक पैदा करना, विद्यार्थियों में आयुर्वेद के प्रति निष्ठा जागृत करना,
कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ भावना मित्तल ने किया। कार्यशाला में गुरुकुल से डा विपिन कुमार पांडे, डा पुनीता पांडे, डा राधाकृष्ण बिस्वाल, डा शिखा पांडे, डा विपिन अरोड़ा, ओम आयुर्वेद कॉलेज से डा त्रिवेणी शास्त्री, पतंजलि से डा आशीष गोस्वामी, मदरहुड इंस्टिट्यूट से डा राहुल शर्मा, हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज से डा प्रियंका एवं डा माहेश्वर उपस्थित रहे। कार्यशाला में डॉ योगेश, डा दिव्या, डॉ रवि, डॉ स्वाति, डॉ स्तुति, डा प्रियंका, डॉ आशा, डॉ जयपाल पूनिया का सहयोग प्राप्त हुआ।