ऋषिकेश, 4 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज महाकवि तुलसीदास जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि कवि तुलसीदास जी भक्तिकाल के प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं। उनकी रचनायें, काव्य, दृष्टिकोण और शैली आज भी उतनी ही प्रसिद्ध, लोकप्रिय एवं प्रासंगिक हैं जितना उस समय में थी।
महाकवि तुलसीदास जी ने समाज में व्याप्त समस्याओं और समाजिक विसंगतियों पर बड़ी ही सहजता से प्रकाश डाला। उन्होंने गरीबी और बेरोजगारी को अपनी रचनाओं का केन्द्र बनाया और लिखा कि ‘‘नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं’’। आज भी हमारे सामने ये चुनौतियां विद्यमान हैं। जिनका हम सभी को मिलकर समाधान निकालना होगा।
महाकवि तुलसीदास जी ने एक आदर्श राज्य के रूप में राम राज्य की स्थापना का उल्लेख अपनी रचनाओं में किया।
‘‘राम राज राजत सकल, धरम निरत नर नारि
राग न रोष न दोष दुख, सुलभ पदारथ चारि।’’
महाकवि तुलसीदास जी के विचार देश एवं काल की सीमाओं से परे हैं और हर युग के लिये अनुकरणीय हैं। तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर आज परमार्थ निकेतन में सुन्दरकांड का पाठ किया, जिसमें परमार्थ गुरूकुल के आचार्यो और ऋषिकुमारों ने सहभाग किया।