ऋषिकेश, 3 जुलाई। परमार्थ निकेतन में रोनी येडिडिया-क्लेन, मिशन की उप प्रमुख, भारत में इजराइल के दूतावास और कोटे-डी आइवर, टोगो, बेनिन और बुर्किना फासो में नवनियुक्त राजदूत, उनके पति ज्योफ येडिडिया-क्लेन तथा नीरज भगत गहलावत, भारत में इजराइल के दूतावास में वरिष्ठ जल संसाधन विशेषज्ञ पधारे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया तथा जल संरक्षण की नवोदित परियोजनाओं पर विशेष चर्चा की।
ज्ञात हो कि भारत और इजराइल की सरकारें नवाचार और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से जल संरक्षण और कृषि के क्षेत्र में अपने सहकारी प्रयासों का विस्तार निरंतर कर रही हैं। इसी कड़ी में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस परमार्थ निकेतन ऋषिकेश और अरवा पर्यावरण अध्ययन संस्थान, इजराइल के साझा प्रयासों से शिक्षा प्रोग्रामिंग और जल संरक्षण का एक सहकारी कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनायी जा रही है।
परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के साथ भारत में रोनी येडिडिया-क्लीन, इजरायल के दूतावास, मिशन की उप प्रमुख और कोटे-डी आइवर, टोगो, बेनिन और बुर्किना फासो में नवनियुक्त राजदूत और नीरज भगत गहलावत, वरिष्ठ जल संसाधन की विशेष चर्चा हुई। चर्चा के दौरान भारत में इजराइल के दूतावास के विशेषज्ञ, ने यह पुष्टि की कि संस्थान के प्रतिनिधि कार्यक्रम के लिए स्कोपिंग और व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए अगले महीने परमार्थ निकेतन आ रहे हैं, उसके तुरंत बाद अरवा पर्यावरण अध्ययन संस्थान, इजराइल से दो छात्र यहां पर आयेंगे और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की के छात्रों के साथ मिलकर उत्तराखंड के पर्वतीय गांवों में पानी की जरूरतों पर शोध करेंगे ताकि विभिन्न मौजूदा और उभरती प्रौद्योगिकियों का पता लगाया जा सके, इस परियोजना की मदद से पहाड़ों पर रहने वालों के जीवन में सुधार हो सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक कैरी बैग मुक्त दिवस के अवसर पर कहा कि प्लास्टिक सस्ता और सुविधाजनक हो सकता है परन्तु वह हमारे जीवन और पर्यावरण के लिये घातक है क्योंकि उसे विघटित होंने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। यह एक गंभीर समस्या है, आँकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष उत्पादित 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से 43 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक है, जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ डाल रहा हैं, जिसके कारण प्राकृतिक संसाधन घट रहे हैं, प्रदूषण बढ़ रहा है और पहाड़ों से पलायन हो रहा हैं।
स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य का स्वभाव पलायन का नहीं है परन्तु जीवन की जटिलतायें उन्हें पलायन के लिये मजबूर करती हैं। उत्तराखंड का नाम सुनते ही मस्तिष्क में हिमालय, गंगा, योग, अध्यात्म और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य याद आता है, जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है परन्तु यहां पर रहने वाले लोग पलायन के लिये मजबूर हैं। इन खूबसूरत हरी-भरी पर्वत श्रृंखलाओं को पुनः बसाने के लिये जल का संरक्षण सबसे महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
रोनी येडिडिया-क्लीन, इजरायल के दूतावास, मिशन की उप प्रमुख ने कहा कि हम इजरायल की सरकार और भारत के अपने साथी नागरिकों के साथ एक बेहतर, अधिक टिकाऊ दुनिया बनाने के मार्ग का नेतृत्व करने के इस रोमांचक अवसर की आशा करते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के साथ साझेदारी में इस परियोजना का शुभारम्भ कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस परियोजना के माध्यम से हम अनगिनत लोगों के जीवन में सुधार लाने में सफल होंगे।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के दो घटक हैं, पहले भाग में अरवा इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल स्टडीज के डॉ क्लाइव लिपचिन और श्री फरीद महामीन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आयेंगे तथा पर्यावरण शिक्षा प्रोग्रामिंग और सहयोग पर एक स्कोपिंग और व्यवहार्यता अध्ययन करेंगे। दूसरे भाग में अरावा संस्थान के दो छात्र इसी वर्ष गर्मियों में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आएंगे तथा भारत के दो छात्रों के साथ – डॉ लिपचिन और एम महामीन द्वारा स्थापित कार्यक्रम को आगे बढ़ायेंगे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में सभी ने विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया तथा रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी का अभिनन्दन किया।