परमार्थ निकेतन पहुंचा नेपाल का सचिव स्तरीय प्रतिनिधिमंडल

परमार्थ निकेतन पहुंचा नेपाल का सचिव स्तरीय प्रतिनिधिमंडल
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर माँ गंगा जी की आरती में किया सहभाग
विभिन्न समसामयिक विषयों पर हुई चर्चा

 

रूद्राक्ष की माला और रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनन्दन
जल एवं नदियों के संरक्षण हेतु विश्व ग्लोब का किया जलाभिषेक
 
स्थिर, सुरक्षित एवं मैत्रीपूर्ण नेपाल भारत संबंध के लिये दर्रो को खोलने के साथ दिलों को खोलना भी बहुत जरूरी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 17 जून। नेपाल का सचिव स्तरीय प्रतिनिधिमंडल परमार्थ निकेतन पहंुचा। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कि विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा की। तत्पश्चात गंगा जी की आरती में सहभाग किया।

चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्ष 1997 में परमार्थ गंगा तट पर माँ गंगा जी की आरती का दिव्य क्रम आरम्भ किया था। उसके पश्चात 1998 में कैलाश मानसरोवर में गंगा जी की आरती शुरू की गयी थी, उनकी स्मृतियों को ताजा करते हुये अन्य नदियों के तटों पर आरती का क्रम शुरू करने हेतु चर्चा की। आरती के माध्यम से वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण, नदियों को प्रदूषण मुक्त करना और अनेक सामाजिक विषयों पर संदेश प्रसारित किया जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत और नेपाल के सदियों से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों राष्ट्रों का न केवल बेटी-रोटी का संबंध है बल्कि एक दिव्य आध्यात्मिक संबंध भी हैं क्योंकि भगवान बुद्ध का जन्म तो नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था परन्तु महानिर्वाण भारत के कुशीनगर में हुआ। यह ईश्वर द्वारा बनाया गया प्रगाढ़ सम्बंध है।

स्वामी जी ने कहा कि वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि‘ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार रही है। नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी राष्ट्र है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आ्िर्थक संबंध  भी विशेष महत्त्व रखते है। उन्होंने कहा कि स्थिर, सुरक्षित एवं मैत्रीपूर्ण नेपाल भारत संबंध के लिये दर्रो को खोलने के साथ दिलों को खोलना भी बहुत जरूरी है। भारत-नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के संबंधों की विशिष्टता को दर्शाती है तथा रामायण सर्किट की योजना दोनों देशों के मजबूत सांस्कृतिक व धार्मिक संबंधों का प्रतीक है।
सचिव स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य परमार्थ गंगा तट पर भगवान शिव की मूर्ति के दर्शन कर अभिभूत हो गये। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन, स्वर्गाश्रम वास्तव में धरती पर स्वर्ग के समान है। यहां पर व्याप्त दिव्यता और शान्ति अद्भुत है।
प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर गंगा जी की आरती में सहभाग किया।