विद्यार्थियों को आयुर्वेद सम्मत आदर्श जीवन शैली एवं दिनचर्या का पालन करते हुए आयुर्वेद का विद्यार्जन कर चिकित्सा सेवा के लिए अपने आप को समर्पित करना चाहिए: प्रोफेसर राधावल्लभ सती

आयुर्वेद पद्धति को ठीक से सीखने के लिए आयुर्वेद की मूल संहिता ग्रंथो का अध्ययन अति आवश्यक:   सुनील जोशी

विद्यार्थियों को आयुर्वेद सम्मत आदर्श जीवन शैली एवं दिनचर्या का पालन करते हुए आयुर्वेद का विद्यार्जन कर चिकित्सा सेवा के लिए अपने आप को समर्पित करना चाहिए: प्रोफेसर राधावल्लभ सती

देहरादून ,उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन सभागार में आयुर्वेद संकाय मुख्य परिसर के बीएएमएस बैच 2021 के नवागंतुक छात्रों के लिए एनसीआईएसएम, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित विद्या आरंभ (दीक्षा संस्कार 2022) के 15 दिवसीय कार्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। जिसमें आयुर्वेद पद्धति के विभिन्न एक्सपर्ट के द्वारा लेक्चर आयोजित किए गए एवं ख्याति प्राप्त एक्सपर्टस के साथ से इंटरएक्टिव सेशन आयोजित किये गये।इस समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर सुनील जोशी ने की।दीप प्रज्वलन के उपरांत, सर्वप्रथम परिसर निदेशक प्रोफेसर राधावल्लभ सती ने मुख्य अतिथि प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ एवं सेवानिवृत्त महानिदेशक चिकित्सा एवं वर्तमान अध्यक्ष चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड- डा० डी.एस. रावत जी का स्वागत किया। प्रोफेसर सती जी उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों को आयुर्वेद सम्मत आदर्श जीवन शैली एवं दिनचर्या का पालन करते हुए आयुर्वेद का विद्यार्जन कर चिकित्सा सेवा के लिए अपने आप को समर्पित करना चाहिए। आयुर्वेद पद्धति से अपने चिकित्सा ज्ञान के साथ-साथ हम अपने स्वयं को भी आदर्श दिनचर्या ऋतुचर्या ,रात्रि चर्या एवं सदवृत के अनुपालन से संपूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैंमुख्य अतिथि डॉ डीएस रावत ने कहा कि आज सारी दुनिया मे आयुर्वेद के प्राकृतिक चिकित्सा सिद्धांतों के कारण पद्धति की स्वीकार्यता बढ़ी है। पूर्णता वैज्ञानिक पद्धति है विद्यार्थियों को महर्षि चरक, एवं वाग्भट आदि के सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात कर अपने श्रेष्ठ चिकित्सक बनकर समाज में अपने विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रोफेसर सुनील जोशी जी ने कहा कि आयुर्वेद पद्धति को ठीक से सीखने के लिए आयुर्वेद की मूल संहिता ग्रंथो का अध्ययन अति आवश्यक है और इनके अध्ययन के लिए संस्कृत भाषाज्ञान का विशेष महत्व है। विद्यार्थीयों को अपनी संस्कृति, प्राचीन वैदिक संस्कारों, आयुर्वेद के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने चाहिए और प्रभावी ढंग से अपने समाज में आयुर्वेद का प्रचार प्रसार एवं चिकित्सा सेवा कार्य करने के लिए अपने को श्रेष्ठ चिकित्सक के रूप में तैयार करें। विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश अधाना ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पूर्णता वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित है। अपने बहुमूल्य समय को सैद्धांतिक ज्ञान एवं प्रयोगात्मक क्लीनिकल ज्ञान अर्जन के द्वारा अपने आप को श्रेष्ठ चिकित्सक के रूप में स्थापित करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संचालक डॉ राजीव कुरेले ने विद्यार्थियों को आयुर्वेद दीक्षा शपथ दिलाई। मुख्य परिसर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अमित तमाट्डी सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।इस अवसर पर 2021 बैच के 75 छात्र, छात्राएं उपस्थित रहे। इस अवसर पर मुख्य परिसर के वरिष्ठ शिक्षक गण, उप कुलसचिव डॉ संजय गुप्ता, योग शिक्षक दिलराजप्रीत कौर, नेहा नंदा, रविंद्र जोशी, चंद्र मोहन पहली निजी सचिव कुलपति महोदय, अनिल शाह आदि उपस्थित रहे।