“नीर के लिए पीर” का स्थाई समाधान है जल जीवन मिशन
बृजेन्द्र सिंह यादव
भोपाल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि देश की समूची ग्रामीण आबादी को शुद्ध पेयजल उनके घर पर ही नल कनेक्शन के जरिये दिये जाने की व्यवस्था की जायेगी। प्रधानमंत्री की इस घोषणा को अमल में लाने के लिए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय जल जीवन मिशन” की गाइड-लाइन जारी की। इसके मुताबिक गाँव के हर परिवार को नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जा रही है। मिशन में यह प्रावधान रखा गया कि ग्रामीण आबादी में नल से जल उपलब्ध कराने पर होने वाला व्यय केन्द्र तथा राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मिशन की खूबियों को जाना और इसके सफल क्रियान्वयन के लिये अपनी पूरी शक्ति लगा दी। उनका मानना था कि ग्रामीण अंचल की माता-बहनों की “नीर के लिए पीर” को मिशन के माध्यम से हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान का संकल्प भी हैं कि मिशन से प्रदेश की करीब सवा 5 करोड़ ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन के जरिए गुणवत्तापूर्ण जल की व्यवस्था समय-सीमा में हो जाए।
बुरहानपुर बना शत-प्रतिशत नल-जल युक्त वाला प्रदेश का पहला जिला
मध्यप्रदेश का बुरहानपुर ऐसा पहला जिला है जहाँ मिशन के माध्यम से शत-प्रतिशत ग्रामीण आबादी को उनके घर में नल कनेक्शन के जरिए जल उपलब्ध करवा दिया गया है। जिले के दोनों विकासखण्ड में 167 ग्राम पंचायतें और 254 ग्राम हैं। इन सभी गाँवों के प्रत्येक परिवार तक नल कनेक्शन से जल उपलब्धता की व्यवस्था सुनिश्चित की जा चुकी है। सभी ग्रामीण परिवार मिशन से लाभान्वित होकर घर पर ही पेयजल की सुविधा का लाभ ले रहे हैं। मिशन में प्रावधान के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में संचालित सभी आँगनवाड़ी केन्द्र और शालाओं में भी प्लेटफार्म बनाकर उनमें नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। अब आँगनवाड़ी और स्कूल के बच्चों और वहाँ कार्यरत शासकीय अमले को गुणवत्तापूर्ण तथा पर्याप्त पेयजल उपलब्ध रहेगा।
प्रदेश में जून 2020 से जल जीवन मिशन में ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को गति मिली और ग्रामीण परिवारों को नल से जल। इस तरह गाँव के हर घर में नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। अब सभी जिलों की ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने के कार्य तेज गति से चल रहे हैं। प्रदेश में बदलाव के साक्ष्य के रूप में मिशन में 48 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन से निरन्तर जल प्रदाय शुरू हो गया है।
मिशन से सभी स्कूलों और आँगनवाड़ियों में भी नल कनेक्शन से पेयजल प्रदान करने के अभियान में भी तेजी से काम किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में अब तक लगभग 69 हजार से अधिक शालाओं तथा 40 हजार से अधिक आँगनवाड़ियों में नल से जल सुलभ कराया जा चुका है। शेष स्कूल और आँगनवाड़ियों में नल से जल पहुँचाने का कार्य निरंतर जारी है। जल जीवन मिशन में जल-संरचनाओं के निर्माण और संधारण के कार्य लगभग हर जिले में जारी हैं। ग्रामीण जनसंख्या के आधार पर प्राप्त प्रस्तावों पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल-प्रदाय योजनाओं की स्वीकृति दिये जाने का सिलसिला बना हुआ है।
4 हजार से अधिक ग्रामों में नल से जल
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और जल निगम प्रदेश के सभी ग्रामीण अंचल के हर परिवार तक नल कनेक्शन से जल पहुँचाने के लिये लगातार कार्य कर रहे हैं। विगत 22 माहों में प्रदेश के 4 हजार 143 ग्रामों के सौ फीसदी घरों में नल कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
हर स्तर पर समितियाँ गठित
मिशन के संचालन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य जल एवं स्वच्छता समिति, कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला जल एवं स्वच्छता समिति और गाँव स्तर पर ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है। योजना में निर्माण लागत की 10 प्रतिशत राशि जन-भागीदारी से जुटाने का प्रावधान है, जो श्रम, सामग्री अथवा नगद राशि के रूप में ली जा रही है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल ग्रामों में जन-भागीदारी का अंश 5 प्रतिशत रखा गया है।
मिशन मार्गदर्शिका के घटकों के अनुरूप कार्य-संचालन
प्रदेश में मिशन के बेहतर संचालन के लिए मिशन की मार्गदर्शिका के अनुसार प्रमुख रूप से चार घटकों को शामिल कर उनके अनुरूप कार्यवाही की जा रही है। प्रथम घटक – कार्य प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के अन्तर्गत दो टीमें गठित हैं। एक टीम तकनीकी सहायता तो, वहीं दूसरी टीम प्रबंधन समर्थन के लिए मैकेनिज्म पर काम कर रही है। जिला स्तर पर मिशन की सहायता के लिए जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई बनाई गई है। दूसरा घटक – कार्यान्वयन सहायता एजेन्सी (आईएसए) चयनित ग्रामीण क्षेत्र में जल-प्रदाय योजनाओं से प्रभावित समुदाय को सुविधा प्रदान करने, जन-सहयोग की सहमति लेने, बुनियादी ढाँचे के प्रबंधन के लिए गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को मार्गदर्शन देने का कार्य कर रही है। प्रत्येक जिले की अपनी कार्यान्वयन सहायता एजेन्सी है। तीसरा घटक – तृतीय पक्ष मूल्यांकन संस्थाएँ (टीपीआई) निरीक्षण के बाद यह तय करती है कि निर्माण संस्था द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार कितना कार्य कर लिया है और किए गए कार्य के विरूद्ध संस्था को कितने भुगतान की पात्रता बनती है। चौथा घटक – कौशल विकास प्रशिक्षण के अन्तर्गत ग्रामीण आबादी में स्थापित जल व्यवस्था का संचालन, संरक्षण और संधारण बेहतर हो सके, इसकी भी व्यवस्था की गई है।
एफटीके से जल परीक्षण का प्रशिक्षण
मिशन में ग्रामीण परिवारों को मिल रहा जल गुणवत्तापूर्ण है, इसकी समुचित जाँच के लिए स्थानीय महिलाओं को एफटीके से जल परीक्षण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल-प्रदाय योजना का संचालन और संधारण बेहतर बनाये रखने के लिए वित्त प्रबंधन आवश्यक है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं के सेक्टर वाइस क्लस्टर बनाकर उन्हें जल उपभोक्ता परिवारों से जलदर प्राप्त करने का दायित्व भी सौंपा गया है। जलप्रदाय योजनाओं के संचालन में भविष्य में आने वाली रूकाबट अथवा खराबी को स्थानीय स्तर पर दूर किया जा सके इसके लिए कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत स्थानीय युवाओं को समुचित प्रशिक्षण दिया जायेगा। जलप्रदाय योजना क्षेत्र के रहवासी करीब 50 हजार युवाओं को उनकी रूचि के अनुसार मैशन, पिलम्बर, इलेक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक तथा पम्प आपरेटर के कार्यो का प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जा रहा है। इससे जलप्रदाय योजनाओं को लेकर भविष्य में आई किसी भी कठिनाई को स्थानीय स्तर पर दूर किया जा सकेगा और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
(लेखक लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री हैं।)