मिट्टी व जल जीवन के मूल अधार, इनका संरक्षण जरूरीः मंत्री गणेश जोशी।*

 

*मिट्टी व जल जीवन के मूल अधार, इनका संरक्षण जरूरीः मंत्री गणेश जोशी।*

*भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के स्थापना दिवस पर बोले कृषि मंत्री।*

*देहरादून, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री, गणेश जोशी संस्थान के निदेशक डा0 एम0 मधु, भरसार औधोगिक व वानिकी विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा0 अजीत कुमार कर्नाटक, संस्थान के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिकों तकनीकी विशेषज्ञों एवं समस्त कार्मिकों बधाई दी। मौका था कौलागढ़ रोड़ स्थित भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम का, जिसमें कैबिनेट मंत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने बेहतर काम करने वाले कार्मिकों को पुस्कृत भी किया।
अपने संबोधन में कृषि मंत्री ने कहा कि यह हमारे राज्य के लिये गौरव की बात है कि देश-विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त भारतीय मृदा व जल संरक्षण का मुख्यालय पिछले लगभग 7 दशकों से इस प्रदेश की राजधानी देहरादून में स्थित हैं। आप सभी लोग भली-भॉंति जानते हैं कि मिट्टी व जल जीवन के मूल अधार है। अतः इनका टिकाऊ प्रबन्धन एवं संरक्षण मानव के कल्याण हेतु सदैव ही अपरिहार्य रहा है। इसकी चर्चा हमारे विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में भी की गई है।
उत्राखण्ड राज्य में ग्रामीण विकास किया जाना आज एक बहुत बड़ा मुद्दा है क्योंकि इस प्रदेश में ग्रामीण पलायन एक बहुत बड़ी समस्या हैं। विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों व दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों वाले इस प्रदेश की सीमायें दो अन्य देशों चीन और नेपाल से लगती हैं। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा के मद््देनजर भी प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पलायन रोकना नितान्त आवश्यक हैं। इसलिए यहां पर ग्रामीण विकास किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। प्रदेश में कृषि का विकास किये बगैर ग्रामीण विकास किया जाना संभव नही हो सकता है। मुझे इस संस्थान के विषय में मालूम हुआ है कि देश के सभी राज्यों के लिये मिट््टी व जल संरक्षण तकनीकों के विकास हेतु संस्थान निरन्तर अनुसंधान व प्रशिक्षण इत्यादि कार्यो में जुटा हुआ है। उत्तराखण्ड राज्य में मिट््टी कटाव व भू-स्खलन एक गंभीर समस्या है जिससे राज्य का एक-तिहाई से भी अधिक हिस्सा ग्रसित है।
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक जल स्रोत भी निरन्तर सूखते जा रहे है जो कि प्रदेश की कृषि के विकास के लिये सबसे बड़ी चुनौतिया हैं। प्रदेश में बागवानी आधारित समूह कृषि, बेमौसमी सब्जी उत्पादन व फल पट्टी विकास आदि परियोजनों के सफल क्रियान्वयन की आपार सम्भावनाऐं है जिसके लिये यहाँ के मिट्टि व जल संसाधनों का समुचित सरक्षण किया जाना परम आवश्यक है।


मैं आज संस्थान के निदेशक महोदय से यह भी आग्रह करता चाहता हूँ कि संस्थान द्वारा मिट्टि व जल सरक्षंण हेतु विकसित की गई तकनीकों का राज्य में अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करवायें। ताकि इस प्रदेश के कृषि विकास को वांछित गति प्रदान की जा सके। इसके लिये प्रदेश के कृषि विभाग से जिस प्रकार की भी सहायता की आवश्यकता होगी उसका सहयोग निश्चित रूप से कराया जायेगा। मैं आशा करता हूं कि प्राकृतिक संसाधन व प्रकृति सरंक्षण हेतु समर्पित यह संस्थान राज्य के किसानों की आजीविका संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार पुनः आप सभी को स्थापना दिवस की ढेर सारी बधाईयां।
इस दौरान भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डा0 एम0 मधु जी, भरसार औधोगिक व वानिकी विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा0 अजीत कुमार कर्नाटक जी, संस्थान के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, गणमान्य वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञगण, मंजीत रावत, आदि उपस्थित रहे।