डा. केशव राव बलीराम हेडगेवार जी जन्मजात देश भक्त थे- युद्धवीर जी

हरिद्वार (हरीशंकर सिंह )राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्रीमान युद्धवीर जी ने  हरिद्वार के ज्वालापुर इंटर  मैं आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के  पथ संचलन कार्यक्रम में बौद्धिक वर्ग कहा कि संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी  जन्मजात देशभक्त थे,  ,श्रीमान युद्धवीर जी  ने 2 अप्रैल को हरिद्वार के ज्वालापुर इंटर  मैं आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पथ संचलन कार्यक्रम में बौद्धिक वर्ग में बोल रहे थे,

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अपने सामने बचपन से ही एक उच्चतम ध्येय रखकर काम करते रहे. अठारह वर्ष लगातार विचार तथा तपश्चर्या करने के पश्चात् उन्होंने एक विचार-प्रणाली निश्चित कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की.उन्होंने केवल पाँच स्वयंसेवकों के साथ आरंभ किया, आज इनकी संख्या करोड़ों में है. संघ-कार्य का जैसे-जैसे विस्तारित हुआ, समाज में देशभक्ति, एकता की भावना, आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गौरवबोध जैसे गुणों की वृद्धि हुई, यद्यपि अभी वे पर्याप्त मात्रा में आ गए नहीं कहा जा सकता, उनके लिए अभी और अधिक परिश्रम करना होगा. फिर भी ये तो ऐसे गुण हैं जिनसे संघ-कार्य का सीधा संबंध है, किंतु रोचक बात यह है कि संघ के परोक्ष प्रभाव से समाज में नैतिक परिवर्तन आता भी स्पष्ट देखा जा सकता है.

इस अवसर पर  जिला कार्यवाह, नगर कार्यवाह ,जिला प्रचारक अमित जी ,जिला संघचालक अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य श्रीमान रोहतास जी, किसान संघ उत्तराखंड के संगठन मंत्री सुकर्म पाल राणा, प्रांत व्यवस्था प्रमुख अनिल वर्मा जी ,नगर शारीरिक शारीरिक प्रमुख ,नगर के सभी मंडलों के मंडल कार्यवाह अनिल प्रजापत मोटरसाइकिल के मिस्त्री सहित हजारों स्वयं सेवकों ने भाग लिया ,

इस अवसर पर श्रीमान प्रांत प्रचारक जी उत्तराखंड वीर जी ने डॉक्टर हेडगेवार जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब वे छोटी कक्षा में पढ़ते थे तो महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर विद्यालय में मिठाई बांटी गई, बालक केशव केशव ने मिठाई को यह कहते हुए कूड़ेदान में डाल दिया की जो लोग हमको गुलाम बनाए बैठे हैं, भला उनकी मिठाई हम कैसे खा सकते हैं ,

इसके कुछ दिन बाद विद्यालय में निरीक्षण करने के लिए निरीक्षक महोदय पहुंचे, क्योंकि केशव नेतृत्व करने लगे थे और विद्यालय में योजना बनाई की निरीक्षक महोदय का वंदे मातरम से स्वागत करेंगे ,निरीक्षक महोदय जैसे से ही पहले कक्ष में निरीक्षण के लिए पहुंचे तो छात्रों ने वंदे मातरम से उनका स्वागत किया,  निरीक्षक महोदय कमरे से बाहर निकले दूसरे कक्ष में गए वहां भी वंदे मातरम हुआ ,तीसरे चौथे कक्ष में गए वहां भी वंदे मातरम हुआ तो बिना निरीक्षण किए क्रोध में आकर निरीक्षण कार्य बंद किया और जांच बैठाई गई कि यह बंदे मातरम की योजना किसकी है ,बाद में पता चला की केशव ने यह योजना बनाई थी ,उनका नाम विद्यालय से काट दिया गया, पुलिस से माफी मांगने की शर्त रखी गई ,लेकिन उन्होंने वंदे मातरम पर माफी ने मानने का फैसला करते हुए विद्यालय से अलग होने का फैसला लिया ,यह था उनके देश भक्ति का उदाहरण, इसके बाद पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरी की  पढ़ाई के लिए कोलकाता गए, उन दिनों कोलकाता क्रांतिकारियों का केंद्र माना जाता था ,ताकि पढ़ाई करते हुए देशभक्तों के संपर्क में रहेंगे यह भाव उनके मन में था पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1925 में विजयदशमी के दिन नागपुर में मोहिते का बाड़ा नामक स्थान पर शाखा लगायी, जहां आज डॉ हेडगेवार स्मृति भवन है और वहां पूरे विश्व का तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग प्रतिवर्ष 11 मई से लगाया जाता है , जिसमें हर देश के विदेशों के स्वयंसेवक हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष भाग लेते हैं और शाखा के माध्यम से उन्होंने व्यक्ति निर्माण का कार्य शुरू किया जो आज है पूरे विश्व में दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है, उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से नियमित शाखा आने का भी आग्रह किया ,

श्रीमान युद्धवीर जी ने  नियमित शाखा आने का आग्रह करते हुए अपने को सुदर्शन सेवक बनाने की अपील की, उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी गुरु गोविंद सिंह जी सुभाष चंद्र बोस ,महाराणा प्रताप ,भगवान रामचंद्र जी का उदाहरण देते हुए सभी से आगे बढ़ने का आग्रह किया और संगठन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही ,ताकि भारत माता को परम वैभव पर पहुंचा जा सके ,इसके बाद स्वयंसेवकों ने 5 किलोमीटर लंबा पथ संचलन निकाला जिसमें हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया नगर के बुद्धिजीवी लोगों ने अपने स्थान पर खड़े होकर पुष्प वर्षा की ,