वेदों की और लौटो तथा भारत की प्रभुता को समझो

स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती पर भावपूर्ण श्रद्धाजंलि
वेदों की और लौटो तथा भारत की प्रभुता को समझो

ऋषिकेश,। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये विदेश से भेजे अपने संदेश में कहा कि दयानंद सरस्वती एक महान विचारक और एक सुप्रसिद्ध समाज सुधारक थे। वे भारत के महान आध्यात्मिक नेता थे, उनके संदेशों और आदर्शो ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना कर पुनर्जागरण युग की शुरूआत की। उनके द्वारा रचित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ और ‘आर्य समाज’ संदेश देते हैं कि वेदों की और लौटो तथा भारत की प्रभुता को समझो।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा स्थापित आर्य समाज का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान के अमूल्य स्रोत के रूप में वेदों की स्थापना करना और हिंदू धर्म की श्रेष्ठ मान्यताओं को स्थापित करना है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी का मानना था कि जनमानस में ज्ञान का संचार कर ही समाज में फैले अंधविश्वास को दूर किया जा सकता है।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने अनुयायियों को शिक्षित करने के लिये कई गुरुकुलों की स्थापना कर उन्होंने व्यक्तिगत उत्थान के स्थान पर सामूहिक उत्थान को अधिक महत्त्व दिया। उनके अनुसार मानव के जीवन का उद्देश्य लोगों के शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिये कार्य करना है, इसलिये व्यक्तिगत उत्थान के स्थान पर सामूहिक उत्थान पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये।
स्वामी जी ने कहा कि सामाजिक कल्याण और सामूहिक उत्थान तभी संभव है जब समाज में सेवा और त्याग की भावना हो और हमारे वेद हमें यही शिक्षा देते है इसलिये हर घर और हर संस्थान में वेदों की स्थापना के साथ – साथ वेदों का अध्ययन की शुरूआत करना नितांत आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने समाज सुधारक के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम सभी मिलकर वर्तमान पीढ़ी को वेदों, भारतीय संस्कार और संस्कृति से जोड़ने का प्रयत्न करें, यही हम सभी की ओर से स्वामी दयानंद सरस्वती जी को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।